इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : हाईकोर्ट ने दिल्ली में पेड़ों की कटाई पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। यह सुनवाई दो जून को होने वाली है। कोर्ट ने यह रोक गुरुवार को पेड़ों की कटाई से जुड़ी अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए लगाई है। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि पारिस्थितिक और पर्यावरणीय गिरावट को कम करने का कोई अन्य तरीका नहीं है।
पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि पूरी तरह से विकसित पेड़ों के बड़े पैमाने पर काटे जाने से शहर का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता है। वायु प्रदूषण को तत्काल आधार पर कम करने की जरूरत है और पेड़ इसके लिए एक बड़ा स्त्रोत हैं। ऐसे में सार्वजनिक हित के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के पर्यावरण के लिए बेहतर होगा कि अगली तारीख तक दिल्ली में पेड़ काटने की अनुमति न दी जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कटाई तभी की जाती है जब आवेदक आश्वस्त कर सके कि कम से कम ऐसे पेड़ों को प्रतिरोपित किया जाएगा।
पीठ ने इस दौरान केंद्रीय उप वन संरक्षक की ओर से दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट पर गौर किया। जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय वन प्रभाग में वर्ष 2021 में 2329 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी। पीठ ने यह भी नोट किया कि वर्ष 2019, 2020 और 2021 में पेड़ों को काटने की अनुमति देने के हिसाब से शहर में हर दिन कुल 27 पेड़ काटे गए।
इस पर पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में पेड़ों की उम्र के संबंध में कुछ भी तथ्य नहीं दिए गए थे। इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दाखिल करें।
अदालत ने उक्त निर्देश पेड़ों की कटाई को लेकर याचिकाकर्ता नीरज शर्मा द्वारा अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद के माध्यम से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। पीठ ने यह भी नोट किया कि स्थिति रिपोर्ट में इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है कि प्रत्यारोपित किए गए 16,456 पेड़ वास्तव में बचे भी हैं या नहीं। इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए।
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