India News Delhi (इंडिया न्यूज़), High Court Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना के डूब क्षेत्र में बने प्राचीन शिव मंदिर को गिराने के आदेश को खारिज करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवादित भूमि व्यापक जनहित के लिए है और याचिकाकर्ता सोसायटी इस पर कब्जा करने का दावा नहीं कर सकती। यह जमीन शहरी विकास मंत्रालय द्वारा अनुमोदित जोन-‘ओ’ के लिए क्षेत्रीय विकास योजना के अंतर्गत आती है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को यमुना नदी के किनारे अनधिकृत रूप से बने मंदिर को हटाने से संबंधित याचिका पर अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि भगवान शिव को किसी के संरक्षण की जरूरत नहीं है और उन्हें याचिका में पक्षकार बनाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यदि यमुना नदी के किनारे और बाढ़ क्षेत्र से सभी अवैध निर्माण हटा दिए जाएं तो शिव भगवन और भी ज़ादा खुश हो जाएंगे।
कोर्ट ने गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को गिराने के आदेश को खारिज करने से इनकार कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि व्यापक जनहित के लिए इस क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त किया जाना आवश्यक है।
जस्टिस धर्मेश शर्मा ने कहा कि भगवान शिव की सुरक्षा और आशीर्वाद की चिंता हम लोगों को है। अगर यमुना नदी के किनारे और डूब क्षेत्र को अवैध निर्माण से मुक्त कर दिया जाए, तो भगवान शिव अधिक खुश होंगे।
जस्टिस शर्मा ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता के वकील की ओर से यह दलील कि भगवान शिव को मंदिर के देवता होने के नाते इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए, आधे-अधूरे मन से की गई है। उन्होंने कहा कि यह तर्क पूरे विवाद को एक अलग रंग देने का हताश प्रयास है, जिससे निहित स्वार्थों को पूरा किया जा सके। कोर्ट ने गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को गिराने के आदेश को बरकरार रखा, जिससे यह संदेश स्पष्ट हो गया कि यमुना के किनारे और बाढ़ क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करना जरूरी है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की जरूरत नहीं है, बल्कि हम लोग उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद चाहते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि यमुना नदी को सभी अतिक्रमण और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाए, तो भगवान शिव अधिक खुश होंगे।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि मंदिर आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र है, जहां रोजाना लगभग 300 से 400 भक्त आते हैं। इस पर जस्टिस शर्मा ने कहा कि केवल इस तथ्य से कि मंदिर में रोजाना पूजा होती है और कुछ त्योहारों पर विशेष आयोजन होते हैं, इसे सार्वजनिक महत्व का स्थान नहीं बना देता।
मामले पर विचार करने के बाद कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जो यह दर्शाता हो कि मंदिर जनता को समर्पित है। इसके अलावा, यह भी साबित नहीं हुआ कि याचिकाकर्ता समाज द्वारा यह एक निजी मंदिर नहीं है। इसलिए, कोर्ट ने गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को गिराने के आदेश को बरकरार रखा।
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