Delhi

Holi 2024: ब्रज में कैसे मनाई जाती है होली? जानें ऐतिहासिक कहानी

India News(इंडिया न्यूज़), Holi 2024: कृष्ण की नगरी ब्रज में होली मनाने का तरीका अनोखा होता है। बृज की विश्व प्रसिद्ध होली में देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं। इस साल भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के ब्रज आने की उम्मीद है। बरसाना की होली के बाद नंदगांव में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है। भगवान कृष्ण की नगरी में होली का नजारा देखने लायक होता है। आइए जानते हैं ब्रज की होगी होली के बारे में।

विश्व प्रसिद्ध ब्रज की होली

हर जगह होली बहुत धूमधाम से खेली जाती है। लेकिन श्रद्धालुओं और विदेशी पर्यटकों को मथुरा-वृंदावन की होली बहुत पसंद आती है। इस दौरान फूलों की होली, लट्ठमार होली, लड्डू होली, गाय के गोबर या कीचड़ से होली और फूलों की होली मनाई जाती है। ब्रज में कीचड़ से होली खेलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दौरान लोग रंगों की जगह एक-दूसरे पर कीचड़ डालकर होली का त्योहार मनाते हैं। रंगों की होली खेलने के बाद अगले दिन यानी धुलेंडी के दिन ब्रज में कीचड़ की होली खेली जाती है।

लठमार होली

मान्यता के अनुसार लट्ठमार होली की शुरुआत करीब 5000 साल पहले हुई थी। कहा जाता है कि एक बार श्रीकृष्ण अपने ग्वालों के साथ बरसाना राधारानी से मिलने आये थे। तब श्रीकृष्ण और ग्वालों ने राधारानी और उनकी सखियों को परेशान करना शुरू कर दिया। जिसके कारण राधारानी और उनकी सखियों ने लाठियां लेकर कृष्ण और उनके साथ आए ग्वालों को दौड़ा लिया। तभी से लट्ठमार होली की शुरुआत हुई। इस परंपरा के अनुसार, आज भी नंदगांव के युवा होली पर बरसाना जाते हैं और बरसाना की महिलाएं और लड़कियां उन्हें लाठियों से मारने की कोशिश करती हैं।

फूलों से होली

फुलेरा दूज के दिन ब्रज में फूलों की होली खेली जाती है। एक बार श्रीकृष्ण अपने काम में इतने व्यस्त हो गए कि वे राधारानी से मिलने नहीं जा सके। जिससे राधारानी दुखी हो गईं। राधारानी की उदासी का प्रभाव प्रकृति पर भी पड़ने लगा और फूल, पेड़-पौधे आदि सूखने लगे, तब श्रीकृष्ण को अपनी गलती का एहसास हुआ। इसके बाद वह राधारानी से मिलने बरसाना पहुंचे। कृष्ण को देखकर राधारानी प्रसन्न हो गईं। जिस पर प्रकृति पहले की तरह हरी-भरी हो गई। राधारानी को प्रसन्न देखकर श्रीकृष्ण ने उन पर फूल फेंके। जिसके बाद राधारानी और गोपियों ने मिलकर श्रीकृष्ण के साथ फूलों की होली खेली। आज भी वहां फूलों की होली खेली जाती है।

रंग होली के त्योहार से कब जुड़ा

एक मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में इसी दिन पूतना का वध किया था। इसकी खुशी में ग्रामीणों ने रंगोत्सव मनाया। होली के त्यौहार में रंग डालने से पहले लोग एक-दूसरे पर धूल और कीचड़ लगाते थे। इसीलिए इसे धुलेंडी कहा गया। कहा जाता है कि त्रेतायुग के आरंभ में भगवान विष्णु ने धूलि की पूजा की थी। इसी की याद में धुलेंडी मनाई जाती है। धूल वंदन का अर्थ है लोग एक दूसरे को धूल लगाना। होली के अगले दिन धुलेंडी पर लोग सुबह एक-दूसरे पर मिट्टी और धूल लगाते हैं। प्राचीन काल में शरीर पर मिट्टी का ओखली या मुल्तानी मिट्टी लगाने का चलन था।

ये भी पढ़े:
Nidhi Jha

Journalist, India News, ITV network.

Recent Posts

Delhi News : दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान शुरू

India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Delhi News : देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार से विशेष…

1 month ago

Delhi News: मजदूर ने मांगी मजदूरी, कंपनी के मालिक ने पीट-पीटकर ले ली जान

India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Delhi News : देश की राजधानी दिल्ली में फरीदाबाद जिले में…

1 month ago

Excise Policy Case: CM अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली राहत, फिर बढ़ी न्यायिक हिरासत

India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Excise Policy Case: देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने…

1 month ago

Eating Non-Veg Foods: लंबे ब्रेक के बाद नॉन वेज खाने की सोच रहे हैं? इन सावधानियों से बचें

India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Eating Non-Veg Foods: लंबे समय तक शाकाहारी रहने के बाद अचानक…

1 month ago

Delhi News: इतने करोड़ रुपये की लागत से बनेगा भारत वंदना पार्क,सांस्कृतिक विविधता के होंगे दर्शन

India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Delhi News: गंगा मां के किनारे बसा बनारस हो या पटना…

1 month ago

Home Remedies for Glowing Skin: चेहरे को बेदाग और ग्लोइंग बनाने के लिए इन 3 सुपरफूड्स का रोजाना खाएं

India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Home Remedies for Glowing Skin: एक सुंदर और निखरी त्वचा की…

1 month ago