Sunday, July 7, 2024
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India News(इंडिया न्यूज़)Hypertension In Children: आज के समय में शिक्षा का मतलब सिर्फ अंकों की दौड़ बनकर रह गया है। जो लोग इस दौड़ में पिछड़ने लगते हैं वे जीवन से हार मान लेते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं। राजस्थान के कोटा में एक के बाद एक छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। अगस्त महीने में अब तक 6 बच्चों ने आत्महत्या की है और इस साल 23 बच्चों ने आत्महत्या की है।  27 अगस्त को दो छात्रों ने आत्महत्या कर ली। एक ने पंखे से लटककर जान दे दी और दूसरे ने 6वीं मंजिल से छलांग लगा दी।

 क्यों बढ़ रही है बच्चों में हाइपरटेंशन की समस्या

सफल होने की चाहत में बच्चों पर दबाव इतना बढ़ जाता है कि उसे संभालना मुश्किल हो जाता है। माता-पिता के बहुत संघर्ष, अच्छे स्कूल-कॉलेजों में दाखिला और लाखों की कोचिंग फीस के कारण बच्चों के पास एक ही विकल्प बचता है- सफल होना। वे दूसरों से आगे निकलने के लिए पूरी ताकत से प्रतिस्पर्धा करने लगते हैं। पढ़ाई और उम्मीदों के बोझ तले दबकर कुछ लोग आत्महत्या कर लेते हैं तो कुछ डिप्रेशन में चले जाते हैं।

स्कूल-कॉलेज की यह टेंशन उन्हें 10-12 साल की उम्र में ही हाइपरटेंशन का मरीज बना रही है। 25 साल की उम्र तक युवा हृदय और गुर्दे की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। यही कारण है कि भारत में 25 से 40 वर्ष की आयु के बीच हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर और ब्रेन हेमरेज जैसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसलिए, चाहे माता-पिता हों या कोचिंग सेंटर वाले, उन्हें यह समझना होगा कि हर बच्चा टॉपर नहीं बन सकता है। बच्चे में कुछ प्रतिभा होगी जो उसे दूसरों से आगे रखेगी।

10-12 साल के बच्चे भी उच्च रक्तचाप की चपेट में

भारत में 10 से 12 साल की उम्र के 35% बच्चे और 13 साल से अधिक उम्र के 25% बच्चे उच्च रक्तचाप की चपेट में हैं। 13 साल से ऊपर के बच्चों में अगर बीपी 130/80 से ऊपर हो तो इसे हाइपरटेंशन माना जाता है। बचपन में उच्च रक्तचाप और 25 वर्ष की आयु में गुर्दे और हृदय रोग।

देश में 25 से 40 साल के युवाओं को हार्ट अटैक, किडनी रोग और ब्रेन हेमरेज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बच्चों पर हर वक्त पढ़ाई का दबाव बनाना ठीक नहीं है. उनका खेलना-कूदना पढ़ाई जितना ही जरूरी है। आजकल जो छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए 7वीं-8वीं कक्षा से लेकर कोचिंग कक्षाओं में दाखिला ले रहे हैं, उन पर अच्छे परिणाम पाने का इतना दबाव होता है कि वे खेल-कूद के लिए भी समय नहीं निकाल पाते हैं। सिरदर्द, माइग्रेन और टाइप 2 डायबिटीज की शिकायतें आम हो गई हैं। फिर मोटापा तो आम बात है जिसके कारण बीपी की समस्या भी हो जाती है। कई युवाओं को इसी वजह से स्ट्रोक भी होता है, जो पहले कम उम्र में इतना नहीं होता था। देशभर में लाखों छात्र मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।

दूसरों से न करें तुलना

राजस्थान का कोटा शहर कोचिंग हब के रूप में जाना जाता है लेकिन अब इस शहर में छात्रों की आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई कि आज कोटा में पढ़ने वाले छात्र तनाव में हैं और अभिभावकों के मन में किसी अनहोनी का डर नहीं है? अगर आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है और अपनी तुलना किसी ऐसे बच्चे से कर रहा है जो पढ़ाई में तेज है तो उसे कुछ बातें समझाना जरूरी है। उसे बताएं कि उसे कभी भी किसी से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए, उसे सिर्फ खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

बच्चों की दिमागी शक्ति कैसे बढ़ाएं?

1. गिलोय-तुलसी काढ़ा
2. हल्दी वाला दूध
3. मौसमी फल
4. बादाम-अखरोट
5. आंवला-एलोवेरा जूस
6. खजूर + दूध के साथ केला

उच्च रक्तचाप दूर करें

1. खूब सारा पानी पीओ
2. तनाव और चिंता को कम करें
3. समय पर खाना खाएं

ऐसे बनाएं हड्डियों को मजबूत

1. गिलोय का काढ़ा
2. हल्दी-मेथी-सूखी अदरक पाउडर
3. हल्दी वाला दूध

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Nidhi Jha
Nidhi Jha
Journalist, India News, ITV network.
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