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IIT Delhi: IIT दिल्ली की प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी ने कहा भारत में हिंदुत्व नहीं रहेगा.. जानें लोगों की प्रतिक्रिया

• LAST UPDATED : September 12, 2023

India News(इंडिया न्यूज़)IIT Delhi: आईआईटी दिल्ली से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बता दे कि आईआईटी दिल्ली की एक फैकल्टी के हिंदुत्व पर दिए बयान पर विवाद हो गया। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर खुब वायरल हो रहा है। यह वीडियो देखकर लोग बहुत गुस्सा हो रहे है। ता दे कि एक विदेशी चैनल पर दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन पर विवाद हो रही थी।

आईआईटी-दिल्ली में ह्यूमैनिटीज और सामाजिक विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी ने ‘फ्रांस-24’ से कहा, ‘दो भारत हैं- एक अतीत का भारत है, नस्ली जाति व्यवस्था वाला जो बहुसंख्यक आबादी पर अत्याचार करता है… इसके बाद भविष्य का भारत है, जिसमें जातिगत उत्पीड़न और हिंदुत्व नहीं होगा। एक समतावादी भारत होगा। यही वह भारत है जो अब तक दिखा नहीं है बल्कि सामने आने को बेताब है।’ बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर यह वीडियो शेयर करते हुए अपना गुस्सा वयक्त किया।

कौन हैं दिव्या द्विवेदी

आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर मूल रूप से इलाहाबाद की रहने वाली हैं। द्विवेदी ने TOI से कहा, ‘जी20 समिट अपेक्षाकृत अमीर देशों और गरीब देशों का सम्मेलन है। जीडीपी दुनिया में कहीं भी प्रगति का एकमात्र पैमाना नहीं है। यहां तक कि सबसे धनी देशों में भी गरीबी है जिसकी वजह जलवायु परिवर्तन और दक्षिणपंथी राजनीति है। गरीबी वैश्विक चिंता होनी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मंचों को इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए।’

जानें क्या कहा दिव्या द्विवेदी ने

यह पूछे जाने पर कि क्या दूसरे जी20 देशों में इस तरह की असमानताएं शामिल नहीं हैं, द्विवेदी ने कहा कि भारत में ये मुद्दे नस्ली उत्पीड़न, बहिष्कार और हिंदू धर्म के रूप में एक झूठी प्रस्तुति से बढ़ रहा हैं। द्विवेदी की इस बयान पर सोशल मीडिया पर लोग अपना गुस्सी जाहिर कर रहे है। उन्होंने कहा, ‘300 से ज्यादा वर्षों में नस्ली जातिगत व्यवस्था से भारत को आकार दिया गया, जहां 10% उच्च जाति के अल्पसंख्यक 90% शक्तिशाली पदों पर काबिज हैं। और यह आज भी चल रहा है।

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत में एक तरफ, हमारे पास वंशानुगत अधिकार, प्रतिष्ठा और संपन्नता है तो दूसरी तरफ जन्म के आधार पर भेदभाव, गरीबी और जाति के आधार पर बहिष्कार है। इस ओर ध्यान आकर्षित करना मेरी मजबूरी और बौद्धिक कर्तव्य था।’

https://x.com/MrSinha_/status/1700430729749156323?s=20

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