इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक किफायती कृत्रिम पैर विकसित किया है। इसे विशेष रूप से भारतीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। कम वजन वाला कृत्रिम पैर विभिन्न आयु समूहों और कृत्रिम अंग के उपयोग के कई चरणों के लिए समायोज्य है। टीम द्वारा विकसित मॉडल के नमूनों का अभी परीक्षण चल रहा है।
टीम के अनुसार, भारत में कृत्रिम अंग के विकास में कई चुनौतियां सामने आती हैं। वहीं, दिव्यांगों के लिए अत्यधिक कार्यात्मक गतिशीलता के लिए उन्नत सुविधाओं वाले उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिसमें बहुत पैसा खर्च होता है।
आईआईटी गुवाहाटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एस कनगराज ने बताया कि पश्चिमी तकनीक के साथ विकसित उत्पाद भारतीय जरूरतों को नजरअंदाज करते हैं जैसे कि चौकड़ी लगाकर बैठना, शौच के लिए बैठना और योग की मुद्राएं आदि। उन्होंने कहा कि हमारी टीम द्वारा बनाए गए कृत्रिम अंग का अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार परीक्षण किया गया है। यह शरीर के 100 किलो वजन तक को सह सकता है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम पैर की कीमत 25,000 रुपये होगी।