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केजरीवाल सरकार ने लिए दिल्ली को हराभरा करने के लिए महत्वपूर्ण फैसले

• LAST UPDATED : May 18, 2022

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : केजरीवाल सरकार ने लिए दिल्ली को हराभरा करने के महत्वपूर्ण फैसले लिए है। उक्त फैसले के तहत वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने सड़कों के किनारे हरियाली बढ़ाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है। यह टास्क फोर्स जिला स्तरीय होगी।

जो सड़कों के अधिकार क्षेत्र और रखरखाव से जुड़ी सभी एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर सड़कों के किनारे हरियाली में इजाफा करेगी, ताकि वाहनों के चलते होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली की सड़कों को हरा भरा बनाने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों के साथ बैठक की। उक्त बैठक में वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, डीएसआइआइडीसी, दिल्ली के निगम एवं सड़कों के रखरखाव से जुड़ी अन्य एजेंसियों के उच्च अधिकारी मौजूद थे। जो अपने अपने विचार रखें।

प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए एजेंसियों को रिपोर्ट देने का निर्देश

बैठक में धूल प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए सभी एजेंसियों को 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया। इसके साथ ही कैसे सड़कों के किनारे की हरियाली बढ़ाई जा सकती है। इस पर विस्तार पूर्वक विचार विमर्श किया गया। बैठक में पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सड़कों के अधिकार और रखरखाव से जुड़ी सभी एजेंसियां अपनी सड़कों पर हरित क्षेत्र की उपलब्धता का निरीक्षण करेंगी। इसके साथ ही रोड मैपिंग के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि किस क्षेत्र में कितना और किस तरह का हरित क्षेत्र मौजूद है। इसे बेहतर और खराब दो वर्गों में विभाजित कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

गैर हरित क्षेत्रों की मैपिंग की जानी चाहिए

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि उन जगहों की मैपिंग की जानी चाहिए, जहां हरित क्षेत्र न के बराबर है। गैर हरित क्षेत्रों की मैपिंग कर एक एक्शन प्लान तैयार किया जाना चाहिए ताकि पौधरोपण और हरित क्षेत्र बढ़ाने पर बल दिया जा सके।

पौधरोपण के लिए की जा रही है दिल्ली में जगहों की तलाश

दिल्ली में ऐसी जगहों की खोज की जा रही है, जहां पौधरोपण अभियान चलाया जा सके। हाल ही में पर्यावरण विभाग की एक बैठक में डीडीए ने विकास कार्यों के चलते काटे गए एक पेड़ के बदले में दस पेड़ लगाने की बाध्यता खत्म कर दो पेड़ लगाने का प्रस्ताव किया था। इसके पीछे जमीन की उपलब्धता को कारण बताया गया था। इस पर पर्यावरण विभाग ने वन विभाग को कहा कि डीडीए के पास उपलब्ध जमीनों का पूरा विवरण लिया जाए, ताकि इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर बड़ी संख्या में पेड़ लगाया जा सकें।

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