इंडिया न्यूज, गुरुग्राम। ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में समाज परिवर्तन के लिए ईश्वरीय योजना अभियान का भव्य आगाज हुआ। रविवार को दादी प्रकाशमणि आॅडिटोरियम में कार्यक्रम आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक, डॉ. रोजर गोपाल, उच्चायुक्त त्रिनिदाद और टोबैगो, संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी एवं ब्रह्माकुमारीज के समाज सेवा प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बीके प्रेम ने हरी झंडी दिखाकर अभियान का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में बोलते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज इंसान को इंसान बनाने की फैक्ट्री है। जब भी मैं ब्रह्माकुमारीज संस्था में आती हूं तो आंतरिक शांति का अनुभव करती हूं। संस्था में माताओं और बहनों की सबसे अधिक संख्या है, क्योंकि मातृशक्ति ही समाज में परिवर्तन ला सकती हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि सरकार ब्रह्माकुमारीज के साथ मिलकर नशामुक्ति अभियान चलाना चाहती है।
सरकार बिना जन भागीदारी के कोई भी कार्य नहीं कर सकती। ब्रह्माकुमारी बहनें काफी समय से नशामुक्ति अभियान के द्वारा अनेक युवाओं का जीवन बदल रहीं हैं। मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति के बल से ही भारत विश्व गुरू बनेगा। दुनिया के सारे सुख, परमात्म सुख के सामने तुच्छ हैं। सारे विश्व में परमानन्द आनंद प्राप्त करने का ब्रह्माकुमारीज ही केवल एक मात्र स्थान है।
त्रिनिदाद एवं टोबैको के उच्चायुक्त डॉ. रोजर गोपाल ने कहा कि मुझे हिंदी नहीं आती है, लेकिन दिल से मैं भारतीय हूं। जीवन का स्तर विचारों के स्तर पर निर्भर करता है। जरूरत है तो स्वयं को जानने की क्योंकि शांति का असली शांति हमारे ही भीतर है। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि त्रिनिदाद और टोबैगो में ब्रह्माकुमारीज संस्था है।
संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि आध्यात्मिकता के समावेश से ही समाज सुधार संभव है। गरीबी का मूल कारण भी वास्तव में चरित्र की गरीबी है। परमात्मा ने हमें यही संदेश दिया है कि दिव्य गुणों को अपनाने से ही यह समाज सुखी और शांत होगा। इसके लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण की आवश्यकता है। ब्रह्माकुमारी बहनें ईश्वरीय माध्यम बनकर ही समाज सुधार का कार्य कर रहीं हैं।
ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी ने कहा कि समाज परिवर्तन से पहले स्वयं का परिवर्तन जरूरी है। ब्रह्माकुमारीज का पहला सिद्धांत ही है कि जो कर्म मैं करूँगा, मुझे देख और करेंगे। समाज सेवा का मूलमंत्र समाज सुधार है। आज के वैचारिक दृष्टिकोण में परिवर्तन की अति आवश्यकता है। जो सकारात्मक चिंतन से ही संभव हो सकता है। यदि हम सकरात्मक नहीं होंगे तो हमारा न तो विकास होगा और न ही हम समाज का भला कर सकेंगे।
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