India News(इंडिया न्यूज़), Israel-Hamas: साल 2019 में दिल्ली के एक कारोबारी के डिजिटल वॉलेट से चोरी हुई क्रिप्टोकरेंसी के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली पुलिस एजेंसी की ओर से की जा रही जांच में फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास का नाम सामने आया है। ये जांच पिछले पांच महीने से चल रही थी। पुलिस कुछ वॉलेट आईडी का पता लगाने में कामयाब रही, जिनमें पैसे ट्रांसफर किए गए थे, लेकिन असली दोषियों का पता नहीं चल सका। वहीं, इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने भारतीय खुफिया एजेंसियों को एक संदेश भेजा।
इस मैसेज में कुछ संदिग्ध वॉलेट्स की जानकारी थी जिनका इस्तेमाल आतंकी संगठन कर रहे थे। मोसाद की सूची में शामिल कई वॉलेट पते हमास के अल-कसम ब्रिगेड द्वारा चलाए जा रहे थे। इजरायल के नेशनल ब्यूरो फॉर काउंटर टेररिस्ट फाइनेंसिंग ने उन्हें ‘जब्त’ कर लिया था। नया मोड़ तब आया जब स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑप्स (IFSO) यूनिट ने वॉलेट आईडी का मिलान किया। दिल्ली से जिन वॉलेट्स में बिटकॉइन और एथेरियम ट्रांसफर किए गए, वे हमास की साइबर टेररिज्म विंग द्वारा चलाए जा रहे थे।
दिल्ली का मामला भारत में हमास की किसी भी गतिविधि की पहली घटना थी। स्पेशल सेल के अधिकारियों ने बताया कि जांच से जुड़ी जानकारी संबंधित अधिकारियों को भेज दी गई है। उस केस की जांच पूर्व डीसीपी (स्पेशल सेल) केपीएस मल्होत्रा की टीम ने की थी। पुलिस के मुताबिक, मामले की पहली सूचना 2019 में पश्चिम विहार थाने में दर्ज की गई थी। हमास से संबंध उजागर होने के बाद, तकनीकी विश्लेषण से पता चला कि जब्त किए गए बटुए में से एक गाजा के नासिर इब्राहिम अब्दुल्ला का था, दूसरा गीज़ा के अहमद मरज़ूक जैसे हमास ऑपरेटिव का था… फिलिस्तीन के अहमद क्यूएच सैफी का बटुआ भी जब्त किया गया था। था।
दिल्ली पुलिस के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस विंग के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने एक गोपनीय जांच रिपोर्ट तैयार की है। जिसके मुताबिक, दिल्ली के एक कारोबारी की क्रिप्टोकरेंसी चोरी के मामले में हमास कनेक्शन सामने आया है। यह पता चला है कि एक व्यवसायी के निजी वॉलेट से चुराई गई क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल हमास की सैन्य शाखा अल-कसम ब्रिगेड द्वारा किया जा रहा था। हमास की यह सैन्य शाखा आतंकवाद को वित्तपोषित करने के लिए चोरी और दान की गई क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करती है।
IFSO की रिपोर्ट के मुताबिक, चोरी की गई क्रिप्टोकरेंसी को अलग-अलग अकाउंट में ट्रांसफर किया गया था।
– जो बटुआ जब्त किया गया वह मोहम्मद नसीर इब्राहिम अब्दुल्ला का था।
– दूसरा वॉलेट मिस्र के गीज़ा से ऑपरेट किया जा रहा था, जो अहमद मरज़ूक का था।
– एक अन्य वॉलेट, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी ट्रांसफर की गई थी, वह फिलिस्तीन के रामल्ला के अहमद क्यूएच सफी का था।
साल 2019 में दिल्ली के पश्चिम विहार के एक कारोबारी ने अपने वॉलेट से क्रिप्टोकरेंसी गायब होने का मामला दर्ज कराया था। उस वक्त उस करेंसी की कीमत करीब 30.6 लाख रुपये थी। जिसकी कीमत फिलहाल 2.5 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
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