India News(इंडिया न्यूज़) ISRO: भारत के चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ही इसरो ने दुनिया को अपना लोहा मनवाया है। पूरा विश्व भारत की इस सफलता पर बधाई दे रहा है। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में पंडित नेहरू और अन्य कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों के योगदान को लेकर कांग्रेस और भाजपा में जुबानी जंग चल रही है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने इसरो की स्थापना में पंडित नेहरू के योगदान को पचाने में असमर्थ लोगों की आलोचना करते हुए 28 मिनट का वीडियो एक्स पर शेयर किया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा एक वीडियो साझा किया है। साथ ही यह भी लिखा है कि जो लोग इसरो की स्थापना के लिए जवाहरलाल नेहरू के योगदान को पचा नहीं पा रहे वह ये भाषण सुनें।भारत के पहले प्रधानमंत्री वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे। इसके साथ ही कांग्रेस ने पंडित नेहरू की आलोचना करने वालों पर भी निशाना साधा।
जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, “वह बादलों से रडार को बचाने वाले विज्ञान के ज्ञाता की तरह सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे बल्कि बड़े-बड़े फैसले लेते थे।”
रविवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे। ISRO के निर्माण में उनके योगदान को जो नहीं पचा पा रहे हैं, वो TIFR (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के शिलान्यास के दिन का उनका भाषण सुन लें।” रमेश ने कार्यक्रम में नेहरू के भाषण का एक वीडियो भी साझा किया।
नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे। ISRO के निर्माण में उनके योगदान को जो नहीं पचा पा रहे हैं, वो TIFR के शिलान्यास के दिन का उनका भाषण सुन लें।
वह बादलों से रडार को बचाने वाले विज्ञान के ज्ञाता की तरह सिर्फ़ बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे बल्कि बड़े-बड़े फ़ैसले लेते थे। pic.twitter.com/phCzbEZ6fo
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 27, 2023
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में कहा कि पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे। इसरो के निर्माण में उनके योगदान को जो नहीं पचा पा रहे हैं, वो टीआईएफआर (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के शिलान्यास के दिन का उनका भाषण सुन लें। कांग्रेस नेता ने यह भी लिखा कि वह रडार से सुरक्षा प्रदान करने वाले ‘बादलों के विज्ञान’ के बारे में ज्ञान की सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, बल्कि बड़े-बड़े फैसले भी लेते थे।
नेहरू ने पहले दिन से ही आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था, जबकि दिल्ली में कुछ आवाजें अधिक अमेरिकी भागीदारी की वकालत कर रही थीं। कुछ ऐसे भी लोग थे, जो तत्कालीन सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ सहयोग की बात कर रहे थे। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके लिए वे होमी भाभा, विक्रम साराभाई, सतीश धवन, पीएन हक्सर और कई अन्य लोगों से निश्चित रूप से सलाह लेते थे और वे उनसे प्रभावित थे।
कांग्रेस ने कहा है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1962 में INCOSPAR के गठन के साथ शुरू हुई, जो होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के साथ-साथ देश के पहले प्रधान मंत्री नेहरू के उत्साही समर्थन का परिणाम था। बाद में, अगस्त 1969 में, साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना की।
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में पंडित नेहरू और अन्य कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों के योगदान को लेकर कांग्रेस और भाजपा में जुबानी जंग चल रही है। विपक्षी दल अपने नेताओं के प्रयासों को उजागर कर रहा है, जबकि सत्तारूढ़ दल का दावा है कि 2014 के बाद इस क्षेत्र में बड़ी प्रगति हुई है।