India News(इंडिया न्यूज़) Jammu-Kashmir Article 370: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी मंगलवार को 12वें दिन की सुनवाई होगी। 28 अगस्त को सुनवाई में कोर्ट ने आर्टिकल 35A को नागरिकों के अधिकारों का हनन करने वाला आर्टिकल बताया। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 35A के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार मिले थे। लेकिन, इसी आर्टिकल के कारण देश के लोगों के तीन बुनियादी अधिकार छीन लिए गए। इस आर्टिकल की वजह से अन्य राज्यों के लोगों के कश्मीर में नौकरी करने, जमीन खरीदने और बसने के अधिकारों का हनन हुआ।
सोमवार को केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे। इसी हमले के बाद केंद्र को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और उसे पूरी तरह भारतीय गणराज्य में मिलाने के बारे में सोचना पड़ा।
तुषार मेहता ने कहा कि आर्टिकल 370 लागू होने की वजह से जम्मू-कश्मीर में केंद्र के कई कानून लागू नहीं हो पाते थे। देश के संविधान में शिक्षा का अधिकार जोड़ा गया, लेकिन 370 की वजह से यह लागू नहीं हो पाया। आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को बराबरी पर लाया गया। उन्होंने कहा कि अब वहां केंद्र के कानून लागू हो रहे हैं। बिजनेसमैन वहां इन्वेस्ट करना चाहते हैं। टूरिज्म भी बढ़ रहा है।
पहले वहां हाईकोर्ट के जज राज्य के संविधान की शपथ लेते थे। अब उन पर देश का संविधान लागू करने का दायित्व है। अदालत में कम से कम दो प्रमुख राजनीतिक दल अनुच्छेद 370 का बचाव कर रहे हैं, जिसमें अनुच्छेद 35ए भी शामिल है। दरअसल अब लोगों को एहसास हो गया है कि उन्होंने क्या खोया है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35ए हटने से जम्मू-कश्मीर में निवेश आना शुरू हो गया है।
अलगाव के बाद से लगभग 16 लाख पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया है और क्षेत्र में नए होटल खोले गए हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है। सुनवाई के अंत में, जस्टिय संजीव खन्ना ने मेहता से दो पहलुओं को स्पष्ट करने के लिए कहा: “क्या लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तित करना इसे डाउनग्रेड करना है, जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है; और दूसरा, अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के तहत, अधिकतम कार्यकाल है 3 साल हमने वो 3 साल पार कर लिए हैं, इसलिए इसे स्पष्ट करें।
भारतीय संविधान का आर्टिकल 35A वो विशेष व्यवस्था है, जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा परिभाषित राज्य के मूल निवासियों (परमानेंट रेसीडेंट) को विशेष अधिकार देती है। इस आर्टिकल को मई 1954 में विशेष स्थिति में दिए गए भारत के राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया था। 35A भी उसी विवादास्पद आर्टिकल 370 का हिस्सा है, जिसके जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है।
17 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आए जम्मू और कश्मीर संविधान में मूल निवासी को परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक वही व्यक्ति राज्य का मूल निवासी माना जाएगा, जो 14 मई 1954 से पहले राज्य में रह रहा हो, या जो 10 साल से राज्य में रह रहा हो और जिसने कानून के मुताबिक राज्य में अचल संपत्ति खरीदी हो। सिर्फ जम्मू-कश्मीर विधानसभा ही इस अनुच्छेद में बताई गई राज्य के मूल निवासियों की परिभाषा को दो तिहाई बहुमत से कानून बनाते हुए बदल सकती है।
India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Delhi News : देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार से विशेष…
India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Delhi News : देश की राजधानी दिल्ली में फरीदाबाद जिले में…
India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Excise Policy Case: देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने…
India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Eating Non-Veg Foods: लंबे समय तक शाकाहारी रहने के बाद अचानक…
India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Delhi News: गंगा मां के किनारे बसा बनारस हो या पटना…
India News Delhi (इंडिया न्यूज़),Home Remedies for Glowing Skin: एक सुंदर और निखरी त्वचा की…