JNU VC on Caste: देश में जाति-संबंधी हिंसा की घटनाओं के बीच जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने भी एंट्री कर ली है। जिसमें उन्होने कहा कि मानव-विज्ञान की दृष्टि से कोई भी देवता उच्च जाति से नहीं हैं और यहां तक कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं। आपको बता दे कि सोमवार को केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय की ओर से आयोजित बीआर आंबेडकर लेक्चर सीरीज में यह बयान दिया।
जेएनयू की कुलपति ने कहा मनुस्मृति के मुताबिक सभी महिलाएं शूद्र हैं। इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती है कि वह ब्राह्मण या कोई और है। कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के अनुसार है केवल शादी से पति या पिता की जाति आपको मिलती है। उन्होने कहा कि मुझे लगता है कि यह असाधारण रूप से प्रतिगामी है।”
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित द्वारा दिए गए भाषण में पंडित ने राजस्थान में नौ साल के एक दलित लड़के की हाल ही में हुई मौत का जिक्र किया। आपको बता दे कि उस दलित लड़के पर ऊंची जाति के शिक्षक ने कथित तौर पर हमला किया था। उन्होंने कहा, ”दुर्भाग्य से बहुत से लोग हैं जो कहते हैं कि जाति जन्म पर आधारित नहीं थी, लेकिन आज यह जन्म पर आधारित है।
अगर कोई ब्राह्मण या कोई अन्य जाति का मोची है, तो क्या वह तुरंत दलित बन जाता है? वह नहीं… मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि अभी हाल ही में राजस्थान में एक दलित बच्चे को सिर्फ इसलिए पीट-पीटकर मार डाला गया, क्योंकि उसने पानी को छू दिया था, उसने उस पानी को पीया नहीं था, केवल ऊंची जाति के व्यक्ति के पानी को उसने छुआ ही था।
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री ने कहा कि, ‘लक्ष्मी, शक्ति, या यहां तक कि जगन्नाथ सहित देवता ‘मानव विज्ञान की दृष्टि से’ उच्च जाति से नहीं हैं।’ वास्तव में, जगन्नाथ का आदिवासी मूल है। उन्होंने कहा, ‘तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं जो बहुत ही अमानवीय है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबा साहेब के विचारों पर फिर से सोच रहे हैं। हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था।’
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