India News(इंडिया न्यूज़), Kanya Pujan 2023: नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपने व्रत का पारण करते हैं। लड़कियों को देवी मां का रूप माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। कन्या भोज के समय नौ कन्याओं का होना आवश्यक है। ऐसा माना जाता है कि अगर कन्याएं 10 साल से कम उम्र की हों तो व्यक्ति के धन में कभी कमी नहीं आती और उसका जीवन खुशहाल रहता है।
कन्याओं के लिए भोजन बनाने से पहले देवी को नैवेद्य बनाने में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं, वस्त्र और उपकरण भी अर्पित करने चाहिए। इसके बाद कन्या का पूजन करें और भोग लागाए खाना खिलाए। अगर लड़की खाना ऑर्डर नहीं करती है तो लड़की के घर के व्यापारी उसे खाना बनाने का कच्चा माल जैसे चावल, आटा, सब्जियां और फल बेच सकते हैं।
अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.51 बजे से 10.41 बजे तक और दोपहर 01.30 बजे से 02.55 बजे तक है। वहीं महानवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 06.27 से 07.51 बजे तक और भगवान शिव का शुभ उत्सव दोपहर 1.30 से 02.55 बजे तक है।
ज्योतिषी ने बताया है कि 2 साल की कन्या को कुंवारी कहा जाता है। धार्मिक उपासना से दुःख और दरिद्रता का नाश होता है। 3 वर्ष की कन्या को त्रिदेव माना जाता है। त्रिमूर्ति की पूजा से परिवार में धन और समृद्धि आती है। 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है। वैदिक पूजा का संबंध सुख-समृद्धि से है। 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी माना जाता है। पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
6 वर्ष की कन्या कालिका है। विष्णु की पूजा करने से ज्ञान और राजयोग की प्राप्ति होती है। 7 वर्ष की कन्या को चंडिका माना जाता है। वैदिक पूजा से समृद्धि आती है। शांभवी 8 साल की कन्या को शांभवी के रूप में माना जाता है। विशेष पूजा से आवेदन प्राप्त होता है। 9 साल की बच्ची दुर्गा बताई गई है। अशुभ पूजा से शत्रु पर विजय और असंभव कार्य संभव होते हैं। 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा है। सुभद्रा की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख की प्राप्ति होती है।
इसे भी पढ़े: Navratri Special: नवरात्रि में जन्मी कन्या का होता है मां दुर्गा…