होम / अरविंद केजरीवाल राष्ट्रपति के चुनाव पर भाजपा के दांव में फंसे, मुर्मू से मुंह मोड़ना क्यों हो रहा मुश्किल?

अरविंद केजरीवाल राष्ट्रपति के चुनाव पर भाजपा के दांव में फंसे, मुर्मू से मुंह मोड़ना क्यों हो रहा मुश्किल?

• LAST UPDATED : June 22, 2022

इंडिया न्यूज, New delhi news : राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं विपक्षी दलों ने भाजपा के ही पूर्व नेता यशवंत सिन्हा पर अपना दांव लगाया है। एक ओर जहां उम्मीदवारों के ऐलान के बाद सत्ता और विपक्ष ने अपने-अपने गणित को मजबूत करना शुरू कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी दल हैं, जो अभी तक यह फैसला नहीं कर पाए हैं कि वह एनडीए उम्मीदवार को वोट करेंगे या विपक्षी खेमे को मजबूत करेंगे।

अरविंद केजरीवाल अभी तक नहीं लिया है कोई फैसला

दुविधा में दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (आप) भी है। अब तक उम्मीदवारों के नामों का ऐलान होने का इंतजार करती रही पार्टी ने अब कहा है कि पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। विपक्ष की ओर से सिन्हा के नाम का ऐलान किए जाने पर आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पत्रकारों से कहा कि जब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व राष्ट्रपति चुनाव को लेकर फैसला लेगी तो आपसे साझा करेंगे। दोबारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस समय सिर्फ यही कह सकता हूं कि अंतिम फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से ही लिया जाएगा।

पावार ने खुद की अपनी दावेदारी खारिज

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से एनसीपी चीफ शरद पवार को उतारे जाने की चचार्ओं के बीच 12 जून को संजय सिंह ने मुंबई में शरद पवार से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार आप ने शरद पवार को समर्थन देने की बात कही थी। हालांकि, खुद पवार ने अपनी दावेदारी खारिज कर दी। इस बीच पिछले सप्ताह जब तृणमूल कांग्रेस के चीफ और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों को एकजुट करने और किसी एक नाम पर सहमति बनाने की कोशिश की तो आम आदमी पार्टी नदारद रही।

बीजेपी के दांव से फंस गई है पार्टी?

हाल ही में पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पार्टी राष्ट्रीय विस्तार देने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। पार्टी भाजपा से मुकाबले में खुद को कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश कर रही है। ऐसे में यह माना जा रहा था कि पार्टी विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन करेगी। लेकिन भाजपा के आदिवासी दांव ने ‘आप’ को दुविधा में डाल दिया है। पिछले कुछ समय में खुद को बाबा साहब भीम राव आंबेडकर के अनुयायी के रूप में पेश करने वाले अरविंद केजरीवाल के लिए द्रौपदी मुर्मू से मुंह मोड़ना आसान नहीं होगा।

गुजरात चुनाव है वजह

‘आप’ के लिए मुर्मू का समर्थन ना करना गुजरात चुनाव की वजह से भी मुश्किल है। पार्टी गुजरात विधानसभा में पूरा जोर लगा रही है, जहां आदिवासियों की बड़ी आबादी है। राज्य में करीब 90 लाख आदिवासी हैं और 14 जिलों में चुनावी हार जीत तय करने में इनकी भूमिका अहम होती है।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार यदि केजरीवाल विपक्षी खेमे के साथ जाते हैं तो भगवा पार्टी उन्हें आदिवासी विरोधी के रूप में पेश करेगी और आप संयोजक ऐसा नहीं चाहेंगे। पंजाब में पार्टी की जीत के बाद राज्यसभा में ‘आप’ सांसदों की संख्या 3 से बढ़कर 8 हो गई है और अगले महीने पंजाब के दो राज्यसभा सांसदों के रिटायर होने के बाद पार्टी 10 साल पुरानी पार्टी के 10 सांसद होंगे।

Also Read : अरविंद केजरीवाल राष्ट्रपति चुनाव में किसका देंगे साथ

Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

 

Tags:

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox