इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : दिल्ली के पॉश इलाके में किडनी रैकेट का भंडाफोड़ पुलिस से पीड़ित ने की है। पुलिस के सामने मामला आते ही पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार सलाखों के पीछे भेज दिया है। गौरतलब है कि गुजरात के रहने वाले रघु की माली हालत ठीक नहीं थी। वह रोजगार की तलाश में कुछ महीने पहले देश की राजधानी दिल्ली पहुंचा। उसके अनुसार उसे रोजगार मिलता इसके पहले ही किसी ने उसका पर्स और कीमती सामान चोरी कर लिया। इसके बाद वह बेबस और लाचार हो गया और वह नई दिल्ली के गुरुद्वारा पहुंच गया। वह वहां पर काम करने लगा और 4 दिनों तक वहीं पर रहा।
इसी दौरान उसकी मुलाकात राजू नाम के एक व्यक्ति से हुई। राजू जल्द ही समझ गया कि रघु के पास बिल्कुल भी पैसे नहीं हैं। इसके बाद राजू रघु के पीछे पड़ गया कि वह अगर एक किडनी दे देता है, तो उसकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी और उसे इतने पैसे मिलेंगे कि उसके सारे काम बन सकते हैं। रघु के अनुसार उसने शुरूआत में तो मना कर दिया, लेकिन राजू ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। रघु से राजू हर दिन यह कहता कि वह एक किडनी दे दे। यह एक बढ़िया काम है। इससे किसी एक शख्स की जान भी बचेगी और इसके बदले उसे पैसे भी मिलेंगे। इसके अलावा शरीर पर कोई फर्क भी नहीं पड़ेगा।
बार बार यह बात कहने पर रघु राजू की बात मान गया। इसके बाद रघु को लेकर राजू सीधे विपिन नाम के शख्स के पास पहुंचा। विपिन दलाल था। विपिन, रघु को लेकर पश्चिम बिहार के किराए के फ्लैट पर पहुंचा। अगले 10 दिनों तक रघु के सारे टेस्ट करवाए गए। इसके बाद मुझे उस शख्स से मिलवाया गया जिसे किडनी चाहिए थी। 13 मई को रघु को पश्चिम विहार फ्लैट पर ले जाया गया। वहां एक और डोनर था और एक दलाल मौजूद था। इसके बाद रघु को सोनीपत गोहाना के उस नर्सिंग होम में ले जाया गया जहां पर ट्रांसप्लांटेशन को अंजाम देना था।
रघु के अनुसार शनिवार शाम को उसे नर्सिंग होम ले जाया गया और रविवार के दिन में उसका आॅपरेशन कर दिया गया। डॉक्टर शनिवार की रात वहां पर पहुंचे थे। रघु के अनुसार ट्रांसप्लांटेशन के बाद उसके पेट में बहुत दर्द हो रहा था और 3 दिनों बाद उसे वापस दिल्ली शिफ्ट किया गया। वहां पर उसे 2 लाख दिए गए और कहा गया कि बाकी की रकम टांके कटने के बाद मिलेगी। रघु के अनुसार जब टांके कटे तो उसे एक लाख 20 हजार और दिए गए फिर टैक्सी करके उसे हौजरानी पहुंचा दिया गया। उनके पहुंचने की थोड़ी देर बाद ही पुलिस आ गई और रघु ने पुलिस के सामने सारी बात कह दी।
पुलिस ने इस पूरे मामले में एक डॉक्टर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार गैंग का सरगना कुलदीप था। सूत्रों के अनुसार ओटी टेक्नीशियन कुलदीप डॉक्टर्स के साथ ट्रांसप्लांट में साथ रहता था। पूछताछ में कुलदीप ने पुलिस को बताया कि वह अकेले भी पूरे आॅपरेशन को अंजाम दे सकता है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि पूरा आॅपरेशन कौन करता था?
पुलिस के अनुसार ये लोग 30 लाख तक में किडनी का सौदा करते थे। एजेंट्स को 30 हजार मिलते, डॉक्टर को 3 लाख, लैब टेक्नीशियन को 40 हजार मिलते। कुछ पैसे ये पीड़ित को रखने और टेस्ट में खर्च करते, जबकि बाकी कुलदीप और सोनू रखते। जबकि डोनर को महज 2 से 4 लाख रुपए ही मिलते थे। पुलिस का कहना है कि यह रैकेट सोशल मीडिया के माध्यम से चलाया जा रहा था। शैलेश ने पेज बना रखा था, जिस पेज पर वो लोग जुड़ते थे, जिन्हें किडनी की जरूरत होती थी। शैलेश बेहद गरीब लोगों की पहचान करता, फिर उन्हें बहाने से दिल्ली लाया जाता और फिर लालच दिया जाता और फिर किडनी निकाल ली जाती है।
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