India News(इंडिया न्यूज़)Konark Sun Temple: भारत में जी-20 के बाद ओडिशा का कोणार्क चक्र चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी इसी चक्र के सामने खड़े होकर जी-20 के मेहमानों का स्वागत कर रहे थे। भारत मंडपम में लगे इस पहिये को देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी हैरान रह गए। यही बात विश्व नेताओं और वैश्विक मीडिया को रोमांचित कर रही थी। दरअसल जी-20 के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय संस्कृति को भी बढ़ावा दिया। यह कहना गलत नहीं होगा कि एक तरह से कोणार्क का पहिया अब वैश्विक हो गया है और इसे एक बड़ी पहचान मिल गई है।
ओडिशा के कोणार्क में स्थित इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी के मध्य में पूर्वी गंगा राजवंश के राजा नरसिम्हदेव ने करवाया था। यह अपनी संरचना और कलाकृतियों के लिए जाना जाता है। सनातन धर्म में मान्यता है कि भगवान सूर्य के रथ को 7 घोड़े खींचते हैं और इसमें 12 पहिए होते हैं। उसी को ध्यान में रखते हुए इस मंदिर का निर्माण रथ के आकार में किया गया है।
पत्थर पर उकेरी गई यह शानदार कलाकृति और उस पर की गई अद्भुत नक्काशी हमारे जीवन से जुड़ी कई वैज्ञानिक बातों की ओर इशारा करती है। कोणार्क चक्र का न केवल धार्मिक या आस्था संबंधी महत्व है बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। कोणार्क चक्र बताता है कि सूर्य कब उगता है, कब अस्त होता है, क्या समय हुआ है। यह वास्तव में एक प्राचीन घड़ी है। आइए जानते हैं इसके बारे में और दिल्ली में आप कहां से खरीद सकते हैं यह साइकिल।
ये पहिए बताते हैं कि कैसे पूरी दुनिया सूर्य की ऊर्जा से चलती है। यहां मौजूद प्रत्येक पहिये का व्यास 9.9 फीट है। प्रत्येक पहिये में आठ मोटी और आठ पतली तीलियाँ होती हैं। सात घोड़ों का मतलब है सप्ताह के सात दिन, 12 जोड़ी पहियों का मतलब है महीने के बारह दिन और दिन के 24 घंटे। इस पहिये पर लगी 8 मोटी तीलियाँ दिन के हर तीन घंटे में समय बताती हैं। इन पहियों को जीवन का पहिया भी कहा जाता है। कई जगहों पर इसे धर्म चक्र भी कहा गया है और कई जगहों पर इस चक्र को समय चक्र भी कहा गया है।
कोणार्क चक्र खरीदने के लिए आपको स्टेट एम्पोरियम ऑफ उड़ीसा आना होगा जो दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित है। यहां आने के लिए आपका नजदीकी मेट्रो स्टेशन राजीव चौक मेट्रो स्टेशन होगा। मेट्रो स्टेशन से इस शोरूम की दूरी महज 400 मीटर है।