इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : लॉरेंस बिश्ननोई के फेसबुक अकाउंट पर कुछ इस तरह की तस्वीर अपलोड है जिसे देखकर अक्सर लोगों में कौतूहल जग जाता है। सीने पर शहीद भगत सिंह की तस्वीर, चेहरे पर चमक, मूंछें बिल्कुल भगत सिंह के स्टाइल में और ये वीडियो लॉरेंस बिश्ननोई नाम के फेसबुक अकाउंट पर अपलोड है। वह इस म्यूजिक के जरिए खुद के व्यक्तित्व को बता रहा है। अब इसके व्यक्तित्व के साथ अतीत को भी जानते हैं।
लॉरेंस बिश्नोई के पिता लाविंदर सिंह पुलिस कॉन्स्टेबल थे। उनकी करोड़ों की जमीन थी। बचपन में बेटे ने जो मांगा वो सबकुछ मिला। उसके महंगे शौक, महंगे कपड़े पहनना आज भी बरकरार है। उसने स्कूल की पढ़ाई फज्जिलका में की। इसके बाद वह कॉलेज की पढ़ाई करने चंडीगढ़ आया। यहां डीएवी कॉलेज में उसका दाखिला हो गया। वैसे तो दाखिला पढ़ाई के लिए कॉलेज में हुआ था लेकिन वह यहीं से जुर्म की दुनिया में एंट्री भी कर गया।
जुर्म की वजह बनी कॉलेज यूनियन को लेकर दो गुटों में लड़ाई। दरअसल, दिखने में स्मार्ट, अच्छे पैसे वाला, शरीर से पूरी तरह स्वस्थ, इसे देखकर दोस्तों ने उसे कॉलेज में चुनाव लड़ने के लिए तैयार करा लिया। लेकिन लॉरेंस की बचपन की एक आदत रही कि वो जो कुछ करता था बड़ी शिद्दत और प्लानिंग से करता था। अब चुनाव लड़ना था तो उसने पहले एक ग्रुप बनाया। उसका नाम रखा स्टूडेंट आॅर्गनाइजेशन आॅफ पंजाब यूनिवर्सिटी यानी सोपू। यह संगठन आज भी है। भले इसे बनाने वाला आज जेल में है।
तो लॉरेंस बिश्नोई ने पहले संगठन बनाया। उससे छात्रों को जोड़ा और फिर कॉलेज में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा। वह चुनाव जीतने के लिए खूब मेहनत भी किया लेकिन नतीजा कुछ और निकला और वह चुनाव हार गया लेकिन उसे हारने की आदत नहीं थी। वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाया और गुस्से में उसने रिवॉल्वर खरीद ली। जब उसके हाथ में हथियार आ गया तो वह फिर गुनाह की दुनिया में कब तक अपने को दूर रखता।
विरोधी गुट से सामना होने पर रिवाल्वर से की फायरिंग
वर्ष 2011 के फरवरी माह में उसका सामना उसे चुनाव में हराने वाले विरोधी उदय गुट से हो गया और दोनों में भिड़ंत हो गई। भिड़ंत के दौरान गुस्से में आकर लॉरेंस ने दूसरे गुट पर फायरिंग कर दी। यह पहली बार था, जब लॉरेंस ने फायरिंग की थी। मामला तूल पकड़ा और इसकी शिकायत पुलिस से करने पर पुलिस ने फरवरी 2011 को केस दर्ज कर लिया। इसके बाद वह इस एफआईआर से बचने और दूसरे गुट को सबक सिखाने के लिए उसने एक गैंगस्टर से हाथ मिला लिया। इसके बाद वह टी-20 मैच की तरह अपराध की दुनिया में एक बाद एक अपराध करता चला गया और देखते ही देखते अर्धशतक अपराध कर गुजरा।
कहा जाता है कि कुख्यात गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरी असल में जुर्म की दुनिया में लॉरेंस बिश्नोई का गुरू है। इसी गैंगस्टर ने लॉरेंस को अपराध के वो पैतरे सिखाए जिनकी बदौलत आज वह इस काली दुनिया का बेताज बादशाह है। जग्गू पंजाब के भगवानपुर का निवासी है। इसे देश का सबसे अमीर गैंगस्टर कहा जाता है। वर्तमान समय में जग्गू दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था जब पंजाब की राजनीति और अपराध में जग्गू का न सिर्फ रुतबा था बल्कि उसके नाम से ही हर काम हो जाता था। उसके धनवान होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ साल पहले जग्गू के पास से 2 करोड़ के तो सिर्फ हथियार बरामद हुए थे।
पुलिस अधिकारी बताते हैं कि लॉरेंस बिश्नोई भले ही एक शख्स हो लेकिन उसकी परछाई में कई गैंगस्टर के चेहरे छुपे हैं। पैसे से पावर बटोरने की कला उसने जग्गू से सीखी और गैंगस्टर नरेश शेट्टी, संपत नेहरा और मर चुके सुक्खा से मिलकर हथियार के दम पर उगाही करने का देश का सबसे बड़ा नेटवर्क भी बना लिया। इसके नेटवर्क में आकर काला जठेड़ी, रिवॉल्वर रानी के नाम से चर्चित लेडी डॉन अनुराधा चौधरी समेत कई गैंगस्टर ने काली दुनिया का साम्राज्य ही खड़ा कर लिया।
यही वजह है कि आज भले ही लॉरेंस बिश्नोई जेल के भीतर हो लेकिन उसके देश के कई राज्यों में 600 से ज्यादा शार्प शूटर हर वक़्त तैनात रहते हैं। बस वॉट्सऐप से एक इशारा और पल भर में किसी का कहीं भी कत्ल हो जाता है। ये लॉरेंस बिश्नोई का शातिर दिमाग और तेवर ही है जिसकी बदौलत उसका नेटवर्क कई राज्यों में चल रहा है। वैसे जन्मस्थली और गैंगस्टर के पैतरे तो उसने पंजाब में सीखे लेकिन उसका प्रभाव न सिर्फ पंजाब बल्कि राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली- एनसीआर में भी है। आज वह जेल में रहते हुए भी पुलिस के लिए उतना ही सिरदर्द बना हुआ है जितना बाहर रहकर कोई अपराधी रहता है।
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