India News Delhi (इंडिया न्यूज) Loksabha Election: देश में चुनाव हैं…सबसे बड़े चुनाव। देश के लोग फिर एक बार अपनी सरकार चुनेंगे। लोकतंत्र के इस त्योहार की तैयारी खूब जोर शोर से चल रही है। हर पार्टी अपने- अपने उम्मीदवार चुन रही है और उम्मीद कर रही है कि जनता भी उन उम्मीदवारों को चुनकर लोकसभा में भेजे।
कांग्रेस, सपा AAP यूं तो कई पार्टियां हैं जो लगातार चुनावी मैदान में धड़ाधड़ अपडेट दे रही हैं लेकिन जनता के जो सबसे करीब आ गई है वो है BJP, वजह आप सभी जानते ही हैं…एक ही वजह है, देश के प्रधानमंत्री मोदी और उनका काम और काम करने का अंदाज।
पिछले 10 सालों में जो पकड़ PM मोदी ने देश की जनता में बनाई है शायद ही कभी किसी ने बनाई हो। हमारे तो बड़े बूढ़े भी कहते हैं कि ऐसी पकड़ तो इंदिरा और राजीव गांधी की भी नहीं थी जिसको देखो वही BJP और PM मोदी की बात कर रहा है।
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आज डिजिटल का जमाना है और डिजिटल पर लोगों से कैसे जुड़ना है, कैसे लोगों की जुबान पर आना है, कैसे हर जगह चर्चा का विषय बन जाना हैं ये BJP और PM मोदी बखूबी जानते हैं। तो जब बात BJP की सबसे ज्यादा हो रही है तो हर किसी की नजर भाजपा के उम्मीदवारों पर भी है।
देखिए जो भी है मोदी की भाजपा हर बार सरप्राइज तो कर देती है। अभी हाल ही में जब विधानसभा चुनाव हुए तब सरप्राइज किया, दो दिन पहले हरियाणा में बड़े ही भयंकर तरीके से सरप्राइज कर दिया। उम्मीदवारों के चयन में भी भाजपा वो कर रही है जिसके बारे में बड़े से बड़े राजनीतिक पंडित भांप तक नहीं पाए।
दिल्ली की ही बात कर लेते हैं। दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं। 2019 के चुनावों में भाजपा ने सातों सीट जीतीं लेकिन इस बार 7 में से केवल एक सीटिंग MP को टिकट दिया, सिर्फ मनोज तिवारी को। बाकी सबका टिकट काट दिया। तो आज इस आर्टिकल में यही समझेंगे कि ऐसा हुआ क्यों?
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देखिए, पिछले दिनों जो भाजपा की दिल्ली को लेकर लिस्ट आईं हैं। उसमें BJP ने नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी, , पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर, दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी, पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के सांसद हंसरास हंस और चांदनी चौक के सांसद हर्षवर्धन सिंह का टिकट काट दिया।
इस बार BJP ने नई दिल्ली से सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, दक्षिणी दिल्ली से रामवीर सिंह बिधूड़ी, पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सहरावत, पूर्वी दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से योगेंद्र चंदोलिया और चांदनी चौक से प्रवीण खंडेलवाल को टिकट दिया है।
एक बात तो साफ है, PM मोदी और BJP के हर कदम के पीछे एक बड़ा लॉजिक या कह सकते हैं कि कारण होता है। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिस पर बात कम होती है लेकिन भीतर ही भीतर उसकी पूरी रिपोर्ट बनती है और अचानक से एक्शन हो जाता है। कोई सांसद बड़े बोल जो कि नहीं बोलने चाहिए वो बोल दे तो PM मोदी खुद कह चुके हैं कि वो दिल से उसे कभी माफ नहीं करते।
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दिल्ली में 7 में से 6 सांसदों के टिकट कटने की वजहें की बात करें तो उनके संसदीय क्षेत्र में लोगों की नाराजगी, खुद BJP कार्यकर्ताओं का असंतुष्ट होना एक बड़ी वजह है। BJP कार्यकर्ता खुद उन सांसदों के काम से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। अब सांसद जी सांसद जी कहकर आगे पीछे तो लगे रहते लेकिन मन ही मन कार्यकर्ताओं के अंदर टीस भरी थी। अब यही बात उड़ती-उड़ती पहुंच गई टॉप लेवल पर तो कट गया टिकट।
सिंपल सा लॉजिक दुनिया में चलता है, बेस मजबूत ना हो तो बिल्डिंग में रहने वाले को हमेशा डर में जीना पड़ता है। दिल्ली में MCD चुनाव एक बेस माना जाता है। निगम में जीत मतलब डायरेक्ट जनता का दिल जीतना। 2022 के MCD चुनाव में AAP जीती और BJP को हार का सामना करना पड़ा। अब ये जो हार हुई इसमें भाजपा सांसदों की भी चूक मानी गई। केवल मनोज तिवारी और गौतम गंभीर के संसदीय क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन ठीक था बाकि 5 सांसदों के क्षेत्रों में नहीं।
PM मोदी भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं को कतई नहीं छोड़ते। इसके कई उदाहरण देश ने पहले भी देखें हैं। दिल्ली में भी प्रवेश वर्मा और रमेश बिधूड़ी का टिकट कटने की एक यह भी वजह मानी जा रही है। दोनों नेताओं की तरफ से हुई बयानबाजी से भाजपा को सोशल मीडिया और ग्राउंड लेवल पर भी काफी आलोचना सहनी पड़ी। बिधूड़ी ने संसद के भीतर ही सांसद दानिश अली पर नस्लीय टिप्पणी की तो वर्मा ने भी कई मौकों पर मुस्लिम विरोधी बातें कहीं।
वैसे तो गौतम गंभीर का प्रदर्शन अपने संसदीय क्षेत्र में काफी अच्छा रहा बावजूद इसके उनका टिकट कट गया। उन्होंने तो खुद ही ट्वीट करके बोल दिया कि उनको राजनीति से मुक्त किया जाए। बात ऐसी है कि गौतम गंभीर सांसद बने, काम किया लेकिन उनका क्रिकेट के लिए लगाव बिल्कुल भी कम नहीं हुआ। वो क्रिकेट कॉमेंट्री में ज्यादा बिजी रहते थे जिससे स्थानीय कार्यकर्ता भी दबी जुबान में उनसे नाराज थे। उन्होंने ऑनलाइन केजरीवाल का खूब सामना किया लेकिन जब बात जमीन पर उतरने की आई तो उन्होंने जमीन पर उतरकर विरोध नहीं किया।
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