India News(इंडिया न्यूज़)Lord Ganesha and Modak: किसी भी काम की शुरुआत प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश की आराधना से होती है। भगवान गणेश अपनी बुद्धिमत्ता के लिए भी पहचाने जाते हैं। हर साल गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है। विघ्नहर्ता को उनके पसंद का भोग लगाया जाता है। इस बार 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। कहते हैं कि भगवान गणेश का सबसे पसंदीदा मिष्ठान्न मोदक (Modak) है। यही वजह है कि उन्हें इसका भोग जरूर लगाया जाता है। लंबोदर को आखिर मोदक ही क्यों सबसे ज्यादा पसंद है, पुराणों में इसके पीछे भी रोचक कहानी बताई गई है।
भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद हैं ये तो सभी जानते हैं। आखिर अन्य मिष्ठानों से ज्यादा गणपति जी को मोदक ही क्यों भाते हैं इसके पीछे भी पुराणों में दिलचस्प बात बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान गणेश और परशुराम के बीच युद्ध हो गया था। युद्ध के दौरान परशुराम जी के शस्त्र वार से गणेश जी के एक दांत टूट गए थे। दांत टूटने से उन्हें बेहद पीड़ा हुई। इसकी वजह से वे कुछ खा भी नहीं पाते थे। इसलिए उनके लिए कुछ ऐसा बनाने के लिए कहा गया जिसे वो बिना चबाए ही आसानी से खा सकें। इसलिए उन्हें खुश करने के लिए मोदक बनाए गए जिसे खाकर वे अपना दर्द भूल गए।
मोदक खाने में बेहद मुलायम थे, उसे खाकर गणपति जी के दांत का दर्द खत्म हो गया और इसके बाद से ही मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय हो गए। इसलिए उनके भक्त उन्हें मोदक का भोग लगाए बिना नहीं रहते। इसके अलावा पद्म पुराण में भी मोदक को लेकर एक कहानी बताई गई है। इसमें बताया गया है कि शिव-पार्वती एक बार देवलोक पहुंचे थे। उन्होंने एक खास मोदक बनाया था। जो भी उसे खाता वह विज्ञान, शास्त्र, कला एवं लेखन में निपुण हो जाता था। कार्तिक और गणेश इसे बांटकर नहीं खाना चाहते थे। इसके बाद दोनों में तय हुआ कि वे अपनी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करेंगे।
अलग अलग विधाओं में पारंगत होने के लिए कार्तिक जहां यात्रा पर निकल गए। वहीं भगवान गणेश ने अपने माता पिता की परिक्रमा करना शुरू कर दिया। ऐसा करने की वजह पूछे जाने पर गणेश जी ने तर्क दिया कि माता पिता की भक्ति के बराबर और उससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता। इस तर्क से खुश होकर शिव-पार्वती ने खुश होकर मोदक भगवान गणपति को दे दिया।
पुराणों में भी मोदक का वर्णन मिलता है। मोदक का अर्थ आनंद बताया गया है। गणेश जी को हमेशा खुश रहने वाला माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी वजह से उन्हें मोदक का भोग भी लगाया जाता है। श्रीगणेश ज्ञान के भी देवता माने जाते हैं और मोदक ज्ञान का भी प्रतीक है। इस वजह से भी मोदक का भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई और अब तक चली आ रही है।
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