India News(इंडिया न्यूज़) Lunar Mission: लूना-25 लैंडर क्रेटर क्षेत्र तक पहुंचने से पहले चांद की सतह से लगभग 100 किलोमीटर ऊपर तीन से सात दिन तक समय बिताएगा। इससे पहले USSR 1958 और 1976 के बीच 24 लूना मिशन लॉन्च कर चुका है। रूस के लूनर मिशन लूना-25 पर दुनिया भर की नजरें गड़ी हुई हैं। वहीं भारत का चंद्रयान 3 भी अगले हफ्ते चांद पर लैंडिंग करने को तैयार है। बुधवार को लूना-25 को लेकर रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने बड़ी जानकारी दी है। एजेंसी ने कहा है कि रूस का लूनर अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया है। लूना-25 करीब पांच दिनों तक चंद्रमा का चक्कर लगाएगा। फिर 21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपना रास्ता बदलेगा। वहीं भारत का चंद्रयान-3 दो दिन बाद यानी 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है।
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। वह इसी महीने शुरुआत में चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा है। दूसरी ओर, रूस ने 11 अगस्त को लूना 25 लॉन्च किया, मगर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के लिए इसने छोटा रास्ता अपनाया है। इस रास्ते के बारे में दुनिया की किसी भी अंतरिक्ष एजेंसी को नहीं मालूम है। रूस का लूना-25 सन् 1976 के बाद से यानी 47 सालों देश का पहला लूनर मिशन है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिणी ध्रुव पर पहले भी कई बार देशों ने लैंडिंग की कोशिशें की हैं।
Russia launches Luna-25 mission to Moon, its first lunar lander in 47 years
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— ANI Digital (@ani_digital) August 11, 2023
अब तक के इतिहास में केवल तीन देश ही चांद पर सफल लैंडिंग में कामयाब रही हैं। इनमें सोवियत संघ (USSR), अमेरिका और चीन। भारत और रूस ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सबसे पहले उतरने का लक्ष्य रखा है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा कि वह यह दिखाना चाहती है कि रूस चंद्रमा पर पेलोड पहुंचाने में सक्षम है। रूस चांद की सतह तक पहुंचने की गारंटी देता है।
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