Manoj Bhati:
नई दिल्ली: जम्मू के राजौरी के प्रखल कैंप में डर का माहौल बनाने आए आतंकियों का इरादा उरी जैसी घटना को दोहराने का था। आतंकी देर रात में कैंप की ओर इस तरह आए जैसै उन्हें लगा कि निगरानी अब ढीली पड़ चुकी होगी। लेकिन वे इस बात से अंजान थे कि पोस्ट पर मनोज अपनी राइफल के साथ खड़ा है। जैसे ही मनोज को थोड़ी सी हलचल का अहसास हुआ उसने तुरंत अपनी बंदूक का मुंह आतंकियों की तरफ कर दिया। मनोज भाटी के साथ ड्यूटी पर तैनात अन्य जवानों ने भी तुरंत ही गोलियां चलानी शुरू कर दी थी। इसी बीच एक ग्रेनेड आकर उनकी पोस्ट में गिरा। इससे पहले की मनोज और उसके साथी कुछ समझ पाते, वह फट गया। इसके बाद आतंकियों ने गोलियों की बौछार शुरू कर दी। ये वाक्या उस रात का है जब पूरा देश सो रहा था और शाहजहांपुर का मनोज आतंकियों से लोहा ले रहा था।
पार्थिव शरीर के साथ आए जवान खेमराज ने बताया कि दो आतंकी देर रात करीब सवा तीन बजे लोहे की कंटीली तार काटकर अंदर घुस गए थे। उस वक्त पोस्ट पर मनोज और उसके साथी मुस्तैद थे। ये वो समय होता है जब शरीर पर नींद हावी होने लगती है।
हलचल का अहसास होते ही मनोज ने चेतावनी दी और फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों की ओर से गोली चलते ही पोस्ट के सभी जवानों ने भी गोलियां चलानी शुरू कर दीं। आतंकी जब हर तरफ से घिरने लगे तो उन्होंने पोस्ट में ग्रेनेड फेंका। इसके बावजूद जवान अपनी आखिरी सांस तक लडे़ और शहीद हो गए। बहुत मेहनत के बाद आतंकियों को मार गिराया।
इस खबर का पता चलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। मनोज के घर के आसपास मौजूद घरों में तीन दिन से चूल्हे नहीं जले हैं। रक्षा बंधन के त्योहार को भी काफी सादगी के साथ मनाया गया।
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