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राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए एक दिन में 13.26 फीसदी बच्चों व 23.37 फीसदी महिलाओं को दी गई दवा

• LAST UPDATED : May 24, 2022

इंडिया न्यूज, गुरुग्राम। कृमि से छुटकारा, सेहतमंद भविष्य हमारा स्लोगन के साथ जिले में 23 से 29 मई 2022 के बीच चलाए जा रहे राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तत्परता से जुटा है। शहरी और ग्रामीण अंचल के अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्धारित आयु सीमा के बच्चों और युवतियों, महिलाओं को कृमि रोग की निशुल्क दवा दी जा रही है।

मुख्य गेट नंबर-2 के ठीक बाहर लगाया गया है काउंटर

यहां नागरिक अस्पताल सेक्टर-10 के मुख्य गेट नंबर-2 के ठीक बाहर इसके लिए काउंटर लगाया गया है, ताकि अस्पताल में आने वालों को उनकी आयु सीमा के हिसाब से दवा वितरित की जा सके। मंगलवार को यहां पर तैनात डॉ. राहुल, डा. प्रियदर्शन व नर्सिंग आॅफिसर पूनम सहराय द्वारा निर्धारित आयु सीमा के बच्चों और महिलाओं को बुला-बुलाकर पंजीकरण किया गया और उन्हें कृमि रोग की दवा दी गई। दवा देने के साथ ही उनकी काउंसलिंग भी की गई कि वे अपने आस-पास रहने वाली महिलाओं, बच्चों को भी यह दवा लेने के लिए जागरुक करें। उन्हें नागरिक अस्पताल में भेजें या फिर वे किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर यह दवा ले लें।

खान-पान संबंधी दी गई जानकारियां

बच्चों और उनके अभिभावकों को खान-पान संबंधी जानकारियां भी यहां दी गई। इस अभियान के तहत मात्र एक दिन में 01 से 19 साल के 5 लाख 50 हजार में से 23.37 फीसदी (1 लाख 28 हजार 537) बच्चों और 20 से 24 साल के बीच 99 हजार 200 महिलाओं में से (13.26) 13 हजार 126 को कृमि रोग की दवा दी गई।

यह रखा गया है लक्ष्य

अभियान के तहत डोर-टू डोर के माध्यम से जिला में एक वर्ष से 19 वर्ष की आयु वर्ग के 05 लाख 50 हजार बच्चों व प्रजनन आयु वर्ग यानी 20 से 24 वर्ष की 99 हजार 200 महिलाओं तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभियान को 2 राउंड में पूरा किया जाएगा। पहला राउंड 23 से 26 मई के बीच शुरू हो चुका है, जिसमें निर्धारित लक्ष्य की शत-प्रतिशत प्राप्ति के लिए स्टाफ गम्भीरता से कार्य कर रहा है। फिर भी यदि कोई बच्चा या महिला पहले राउंड में छूट जाते हंै तो उनकी पहचान कर उन्हें 27 से 29 मई के बीच दूसरे राउंड में शामिल किया जाएगा।

कृमि रोग बच्चों की सेहत के लिए है हानिकारक : डा. शैलेंद्र

उप-सिविल सर्जन एवं इस अभियान के नोडल अधिकारी डा. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि कृमि संक्रमण (रोग) बच्चों की सेहत के लिए बहुत अधिक हानिकारक होते हैं। बच्चे इस रोग से अगर ग्रस्त हो जाए तो वह कुपोषण, भूख न लगना, पेट में सूजन, खून की कमी, बेचैनी और उल्टी-दस्त से परेशान रहता है। इसलिए जरूरी है कि हर माता-पिता अपने बच्चों को कृषि रोग से निपटने के लिए यह दवा स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर जरूर दिलाएं। ताकि इस रोग से लोगों को मुक्ति दिलाया जा सकें।

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