दिल्ली मेट्रो में नए तकनीक का आयोजन होने जा रहा है। नेटवर्क और यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी देख स्वदेशी स्वचालित ट्रेन पर्यवेक्षण (आईएटीएस) और कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) प्रणाली दिल्ली मेट्रो का भी उपयोग कर रहा है। इसी तकनीक की बदौलत मेट्रो की फ्रिक्वेंसी में बढ़ात हो जाएगी। मेट्रो फेज-4 के तीनों कॉरिडोर के तैयार होने से यात्रियों को इस तकनीक का पूरा फायदा मिलने लगेगा। DMRC के अधिकारी के अनुसार, रेड लाइन पर देश में विकसित सिग्नलिंग तकनीक को लागू किया गया है। आईएटीएस का विकास डीएमआरसी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) की टीम ने संयुक्त रूप से किया गया है। इस तकनीक से DMRC सिग्नलिंग के मामले में और आत्मनिर्भर हो जाएगा।
आईएटीएस एक कंप्यूटर आधारित तकनीक है। जिसकी मदद से मेट्रो परिचालन चंद मिनटों तक निर्धारित किया जाता है। स्वदेशी तकनीक होने के कारण इसे आईएटीएस का नाम दिया गया है। इससे दूसरे देशों पर दिल्ली मेट्रो की निर्भरता काफी कम हो जाएगी। यह तकनीक संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण (सीबीटीसी) आधारित सिग्नलिंग की दिशा में अहम कदम है। इस तकनीक की मदद से मजेंटा और पिंक लाइन पर चालक रहित मेट्रो का परिचालन किया जा रहा है। फेज-4 की तीनों कॉरिडोर पर इस तकनीक के जरिये ड्राइवरलेस मेट्रो का परिचालन किया जा रहा है।
फेज-4 के कॉरिडोर पर मेट्रो नेटवर्क के विस्तार से यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। डीएमआरसी ने कहा-आईएटीएस तकनीक को देखते हुए मेट्रो की फ्रिक्वेंसी को भी बढ़ाना होगा। अलग-अलग लाइनों पर अभी ढाई से पौने तीन मिनट पर मेट्रो सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। लेकिन इस तकनीक को लागू करने के बाद महज 90 सेकेंड के अंतराल पर मेट्रो उपलब्ध होगी। इससे यात्रियों बेहतर सेवाएं का आनंद ले सकेगें।
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