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प्राचीन विरासत को आधुनिक रूप देने की सार्थक पहल है मिशन अमृत सरोवर परियोजना

• LAST UPDATED : May 4, 2022

महेश शर्मा, नई दिल्ली : 

आजादी के अमृत महोत्सव श्रृंखला में मिशन अमृत सरोवर के पहले चरण में गुरुग्राम जिला में 5 गांवों का चयन किया गया है। मिशन अमृत सरोवर के तहत जिला में स्थित प्राचीन विरासत के प्रतीक इन जोहड़ों को जल संरक्षण के लक्ष्यों की पूर्ति के साथ साथ ग्रामीणों के मनोरंजन स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा।

स्वयं में प्राचीन मान्यताओं को समेटे ये जोहड़ यह बताने में सक्षम है कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने में हमारी सभ्यता व जीवन पद्धति कितनी समृद्ध थी। जिला के विभिन्न गांवों में स्थित इन जल ईकाइयों का इतिहास दिलचस्प होने के साथ साथ परम्परागत संरचना के विषय में ज्ञानवर्धन का प्रमुख साधन भी है। आइए जानते है अमृत सरोवर बनने वाली इन केंद्र बिंदुओं से जुड़ी रोचक कहानी को।

संत की तपोभूमि रहा है गांव मऊ का अमृत सरोवर

Mission Amrit Sarovar Project

दशकों पूर्व गांव की आर्थिक उन्नति का आधार रहा यह सरोवर संत खरपड़ी दास की तपस्थली भी रहा है। ग्रामवासियों की मान्यताओं के अनुसार संत खरपड़ी दास कभी जोहड़ के तट पर तो कभी पानी के अंदर रहकर प्रभु भक्ति में लीन रहते थे। यह उनका तपोबल ही था कि उस समय अनेक साधु संत धर्म के विषय पर शास्त्रार्थ करने के लिए गांव में पधारते थे। गांव वालों का मानना है कि यह अमृत सरोवर धर्म और जीवन दोनों का मुख्य आधार रहा है। गांव में हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अमृत सरोवर मिशन के तहत करीब दो एकड़ भूमि पर माडल पोंड के रूप में विकसित किया जाना हैं।

चांदला डुंगरवास के जोहड़ का पानी होता था घर में उपयोग

पटौदी विधानसभा क्षेत्र के गांव चांदला डुंगरवास में स्थित जोहड़ के पानी का पुराने समय में घरेलू कार्यों में भी इस्तेमाल लाने का चलन था। ग्रामीणों के अनुसार यह तालाब करीब 60-70 साल पुराना है। हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अमृत सरोवर मिशन के तहत वर्तमान में एक एकड़ क्षेत्र में तालाब को पुनर्जीवित कर इसमें शुद्ध पानी एकत्रित करने, पशुओं के घाट बनाने, तालाब के चारों तरफ पेड़-पौधे लगाने, सैर करने के लिए पाथ आदि की व्यवस्था की जाएगी।

गढ़ी वाजिदपुर के तालाब के पानी से होते थे कुए रिचार्ज

सोहना विधानसभा के गांव गढ़ी वाजिदपुर में स्थित तालाब, गांव की पेयजल आपूर्ति के मुख्य स्रोत यानी पंचायती कुओं को रिचार्ज करने का प्रमुख माध्यम रहा है। गांव में प्रचलित मान्यता के अनुसार यह तालाब गांव के बसावट के समय ही अस्तित्व में आया था। करीब छह हजार आबादी वाले इस गांव में हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अमृत सरोवर मिशन के तहत 1.80 एकड़ क्षेत्र में यह अमृत सरोवर बनकर तैयार होगा।

कालियावास गांव के जोहड़ को दिया है आधुनिक रूप

बादशाहपुर विधानसभा के गांव कालियावास में करीब सात साल पहले अस्तित्व में आए जोहड़ को हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आधुनिक स्वरूप दिया जा रहा है। करीब एक एकड़ में बनकर तैयार होने वाले इस सरोवर के माध्यम से पंचायती भूमि पर पशुओं के लिए हरे चारे व खेती के लिए उपयोग में लिया जाएगा।

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