इंडिया न्यूज, Gurugram news। बादशाहपुर में मुगलों के जमाने का जो किला था, उसका अस्तित्व अब मिट चुका है। कब्जाधारियों ने धीरे-धीरे पूरे किले को कब्जा कर लिया है। इस किले की पुरानी तस्वीरें ही अब देखी जा सकती हैं। वर्ष 1965-66 के मिले दस्तावेजों में तो बादशाहपुर किला सुरक्षित था, लेकिन इसके बाद 2016 के निकलवाए गए दस्तावेजों में इस मुगलकालीन किले की जमीन गुडगांव बोर्ड के अधीन हो गई।
वर्ष 2010 की निगम के सेटेलाइट इमेज के मुताबिक यह किला खड़ा था। वर्ष 2016 तक यह किला पूरी तरह गायब हो चुका था। आरटीआई के जरिए यह पता लगा है कि किले के क्षेत्र में वर्ष 2016 से कई करोड़ रुपए का काम गुरुग्राम निगम करवा चुका है, जिसमें नाली, सीवर, सड़कों पर टाइलें लगाना आदि शामिल हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट एसके शर्मा ने बादशाहपुर किले को लेकर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने कहा है कि बादशाहपुर किला गुम हो गया है। इसकी जांच कराई जाए।
किले का अस्तित्व खत्म होने पर आम आदमी पार्टी की बादशाहपुर अध्यक्ष डा. सारिका वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय धरोहर इस तरह जनता के नाक के नीचे से गायब हो गई, यह अविश्वसनीय है। उन्होंने बादशाहपुर गांव का दौरा किया तो किले का खंडहर भी दिखाई नहीं दिया। इससे यह पता चलता है कि वहां पर कभी किला था ही नहीं। स्थानीय अफसरों ने राजनीतिक पार्टियों के संरक्षण में भू माफिया के साथ मिलकर देश के धरोहर को निगल गए है। जिला उपायुक्त के नाम एनजीटी का आर्डर है कि बादशाहपुर किले के आसपास अवैध निर्माण को हटाया जाए। उपायुक्त ने आश्वासन दिया है कि वे इस मामले की जांच कराएंगे।
आप के गुड़गांव अध्यक्ष महावीर वर्मा ने कहा कि इतना बड़ा किला गायब हो गया और स्थानीय प्रशासन को खबर तक नहीं हुई। 2010-2016 के बीच किसकी भागीदारी से यह किला तोड़कर कॉलोनी काटी गई, इसकी पूरी तरह जांच होनी चाहिए। जिन लोगों ने राष्ट्रीय धरोहर को लूटकर कॉलोनी काटी है, उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। जिन अफसरों ने उस समय आवाज नहीं उठाई, जिन पार्षद, विधायक और सांसद के कार्यकाल में यह चोरी हुई है, उन पर भी जांच होनी चाहिए।
Also Read : जानिए आज के दिन का पुराना इतिहास, कौन सी धरोहर का निर्माण आज के दिन से आरंभ हुआ
Connect With Us : Twitter | Facebook | Youtube