इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
NASA’s Rover Records Sound : पहली बार मंगल पर नासा के रोवर ने आवाज रिकार्ड की है। गौरतलब है कि मंगल ग्रह और पृथ्वी में कुछ समानताएं हैं तो कई मामलों में यह दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। अब वैज्ञानिकों को मंगल के बारे में कुछ ऐसी जानकारी मिली है जिसने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है। मंगल ग्रह पर जानकारी जुटाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपना पर्सिवियरेंस रोवर भेजा है। इस रोवर ने पहली बार आवाज रिकॉर्ड करने में सफलता पाई है।
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, पर्सिवियरेंस रोवर के माइक्रोफोन ने पहली बार मंगल के वातावरण में दो फ्रिक्वेंसी की आवाजें रिकॉर्ड की है। वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल पर आवाज की रफ्तार दो तरह की पाई जाती है। नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि मंगल पर दो तरह की आवाज का क्या असर हो सकता है। इस पर शोध की जरूरत है। वैज्ञानिकों ने बताया कि हम जानते हैं कि पृथ्वी पर आवाज की गति 340 मीटर प्रति सेकंड है। आप चाहें पृथ्वी पर जहां हों आवाज की यही गति होती है। हालांकि, मंगल पर ऐसा नहीं है। नासा के पर्सिवियरेंस रोवर में लगे ट्रांसमीटर ने वहां पर 240 मीटर प्रति सेकंड की गति से आवाज रिकॉर्ड की है। इसे लेकर वैज्ञानिक हैरान हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया कि पृथ्वी की तुलना में मंगल का वातावरण बिल्कुल अलग है। इसलिए दोनों जगहों पर आवाज की गति में अंतर है। पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाई आॅक्साइड की मात्रा महज 0.04 फीसदी है। वहीं, मंगल पर यह 95 फीसदी है। इससे वहां आवाज 20 डेसीबल कम हो जाती है। इसका अंदाजा वैज्ञानिकों को पहले से था, लेकिन वैज्ञानिकों को हाल ही में जो बातें पता चली है। वह काफी हैरान करने वाली है।
नासा का पर्सिवियरेंस रोवर गत साल फरवरी में मंगल ग्रह पर उतरा था। वह अपने साथ छोटा सा हेलीकॉप्टर भी लेकर गया है। पर्सिवियरेंस में जूते के डिब्बे के साइज का माइक्रोफोन भी लगा है, जो वहां की आवाजों को रिकॉर्ड करते रहता है।
इसने करीब पांच घंटे की आवाज रिकॉर्ड की है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन यह पाया कि जब हेलीकॉप्टर उड़ता है तो टक-टक जैसी आवाज आती है। रोवर से हेलीकॉप्टर की दूरी और उससे आ रही आवाज के आधार पर वैज्ञानिकों ने उसकी रफ्तार का आकंलन किया है। जिससे यह तस्वीर स्पष्ट हो सकी है। (NASA’s Rover Records Sound)
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