India News(इंडिया न्यूज़), NCERT: पिछले साल गठित 7 सदस्यीय समिति ने सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में रामायण और महाभारत को शामिल करने की सिफारिश की है। एनसीईआरटी की नई किताबें अगले शैक्षणिक सत्र तक तैयार होने की संभावना है।
एनसीईआरटी ने सामाजिक विज्ञान के स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति ने पाठ्य पुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल करने और स्कूलों में कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की सिफारिश की है। समिति के अध्यक्ष सीआई इसाक ने मंगलवार (21 नवंबर) को यह जानकारी दी। इसाक ने जोर देकर कहा कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। हमारा मानना है कि किशोरावस्था के दौरान, विद्यार्थी में आत्म-सम्मान, देशभक्ति और अपने राष्ट्र के प्रति गौरव विकसित होता है।”
इसाक ने कहा कि देशभक्ति की कमी के कारण हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता ले लेते हैं। इसलिए, उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षा बोर्ड वर्तमान में छात्रों को रामायण पढ़ाते हैं, लेकिन वे इसे एक मिथक के रूप में पढ़ाते हैं। इससे पहले, इस्साक ने कहा था कि पैनल ने कक्षा 3 से 12 तक की पाठ्यपुस्तकों में प्राचीन इतिहास के बजाय ‘शास्त्रीय इतिहास’ को शामिल करने और ‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ करने की भी सिफारिश की थी।
पिछले साल गठित सात सदस्यीय समिति ने सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम के लिए कई सिफारिशें की हैं। ये सिफ़ारिशें नई एनसीईआरटी पुस्तकों के लिए महत्वपूर्ण निर्देशात्मक दस्तावेज़ हैं।
हाल ही में NSTC ने सामाजिक विज्ञान के लिए पाठ्यक्रम और शिक्षक शिक्षण सामग्री विकसित करने के लिए एक समूह (सीएजी) का भी गठन किया था। आपको बता दें कि एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित कर रहा है। नई एनसीईआरटी किताबें अगले शैक्षणिक सत्र तक तैयार होने की संभावना है।
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