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NCI Cancer: NCI में कैंसर की जांच की सुविधा पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने उठाए सवाल, जानिए क्यों उठे इतने सवाल

• LAST UPDATED : August 12, 2023

India News(इंडिया न्यूज़)NCI Cancer: दिल्ली एम्स में देशभर से आने वाले कैंसर रोगियों का दर्द झज्जर का नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट कम कर रहा है। दिल्ली में जिन कैंसर रोगियों को कीमो के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था, सिफारिश करने के बाद भी बेड नहीं मिलता है। अब ऐसे रोगियों को दिल्ली से झज्जर लाकर उनका कीमो से उपचार शुरू कर दिया गया है। अभी के समय में एनसीआइ में हिस्टोपैथोलाजी और मालिक्यूलर जांच की सुविधा नहीं है। कैंसर की पहचान और इलाज के लिए यह जांचें जरूरी होती हैं। एक डाक्टर ने बताया कि मालिक्यूलर जांच से कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान होती है। फिर उस जीन को टारगेट करके दवाईयां दिया जाता हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उठाए सवाल

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संसदीय समिति के सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं। इसके मद्देनजर एम्स प्रशासन ने संसदीय समिति को दिए अपना जवाब देते हुए कहा है कि एनसीआइ में कैंसर की जांच की अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित करने का काम चल रही है। जानकारी के मुताबिक जल्द ही एनसीआइ में जांच की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करा दिया जाएगा। एक डाक्टर ने बताया कि मालिक्यूलर जांच से कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान करना बहुत जरूरी है। होती है, फिर उस हिसाब से दावाई दी जाती है।

सिफारिश करने के बाद भी बेड की कमी

दिल्ली एम्स में देशभर से आने वाले कैंसर रोगियों का दर्द झज्जर का नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट कम कर रहा है। दिल्ली में जिन कैंसर रोगियों को कीमो के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था, सिफारिश करने के बाद भी बेड नहीं मिल पाते थे अब ऐसे रोगियों को दिल्ली से झज्जर लाकर उनका कीमो से उपचार शुरू कर दिया गया है।

सुविधाएं में देरी

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट देश का सबसे बड़ा और पहला सरकारी मेडिकल संस्थान है जहां दो हजार से ज्यादा बेड कैंसर मरीजों के लिए हैं। बता दे कि कैंसर के टारगेट थेरेपी के लिए मालिक्यूलर जांच जरूरी होती है, लेकिन अब तक सुविधाएं पूरी विकसित नहीं हो सकी है।

झज्जर एनसीआई की बात करें तो यहां रेडियोथैरेपी की 2 मशीनों से रोजाना 50 से 60 मरीजों की थैरेपी की जाती थी जिनकी संख्या बढ़कर अब 150 हो गई है। कीमो से उपचार की वेटिंग लिस्ट डेढ़ माह थी जो अब सेम डे हो गई है। इसी तरह रेडियोथैरेपी की वेटिंग लिस्ट डेढ़ से दो महीने थी जो 1 से 2 हफ्ते तक आ गई है। बता दे कि एनसीआइ से मरीजों के सैंपल एम्स दिल्ली लाया जाता है जहां रिपोर्ट मिलने में लंबा समय लगता है। संसदीय समिति को भेजे अपने जवाब में एम्स प्रशासन ने कहा कि एनसीआइ माइक्रोबायोलाजी और पैथोलाजी लैब शुरू की जा चुकी है। इसलिए वहां बहुत तरह की जांच की सुविधा उपलब्ध करा दिया गया है।

जल्द होगी जांच शुरू

एम्स के मीडिया डिवीजन की चेयरपर्सन डा. रीमा दादा ने बताया कि हाल ही में फ्रोजेन और साइटोपैथोलाजी जांच की सुविधा भी शुरू हो गई है। हिस्टोपैथोलाजी और मालिक्यूलर जांच की सुविधा शुरू करने के लिए मशीनों की खरीद का काम चल रहा है। जल्द ही इसकी जांच शुरू हो जाएंगी।

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