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मानेसर में आगजनी स्थल का एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रीतम पाल ने किया दौरा

• LAST UPDATED : April 30, 2022

गुरुग्राम। NGT Chairman Visits Manesar arson Site नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के चेयरमैन एवं पूर्व न्यायधीश जस्टिस प्रीतम पाल की अध्यक्षता में गठित टीम ने शनिवार को गुुरुग्राम के आईएमटी मानेसर स्थित सेक्टर-6 में 26 अप्रैल को हुई आगजनी की घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मौके का निरीक्षण किया। इस दौरान जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भी मौके पर उपस्थित रही, जिन्होंने एनजीटी के चेयरमैन को घटना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए अब तक की गई कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत की।

डीसीपी मानेसर आगजनी की घटना दी जानकारी 

एनजीटी की टीम के सदस्यों ने हर पहलू पर बारीकी से अध्ययन करते हुए घटनास्थल का निरीक्षण किया। मौके पर उपस्थित पुलिस विभाग के डीसीपी मानेसर मनवीर सिंह ने घटना की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ऐसा अनुमान लगाया रहा है कि संभवत: महिला अपना काम करके सो रही थी। चूल्हे पर खाना बनाने के बाद उसने संभवत: अंगारे वहीं आसपास छोड़ दिए होंगे, जिससे आग लगी। उस समय आंधी आने से आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और देखते ही देखते ये आग सभी झुग्गियों में फैल गई। अचानक आग बढऩे से महिला अपना बचाव नहीं कर पाई और झुग्गी में ही जलकर मर गई। अगले दिन प्रात: महिला का शव बरामद किया गया, जिसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

आग में 250 से 300 झुग्गियां जलकर राख हो गई

आग में 250 से 300 झुग्गियां जलकर राख हो गई। इसके अलावा झुग्गियों के पास लगे कचरे के ढेर में भी आग लगने से आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। झुग्गियों में रखे छोटे छोटे सिलेंडर फटने से भी आग धीरे-धीरे आसपास के क्षेत्रों में फैल गई। देखते ही देखते लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर के दायरे में आग फैल गई। करीब 8 से 10 घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।

अवैध रूप से डाला जाता उद्योगों से निकलने वाला वेस्ट

मौके पर उपस्थित नगर निगम मानेसर के आयुक्त मुनेश शर्मा ने बताया कि मानेसर नगर निगम क्षेत्र में कचरा प्रबंधन को लेकर व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मानेसर नगर निगम क्षेत्र में घर घर जाकर कचरा एकत्रित करने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है। मानेसर नगर निगम क्षेत्र से निकलने वाले कचरे को बावल की डंपिंग साइट पर डाला जाता है। उन्होंने बताया कि दुर्घटना स्थल पर इंडस्ट्रीज आदि से निकलने वाले कचरे को अवैध ढंग से डाला जाता था। उद्योगों से निकलने वाले कचरे को यहां के स्थानीय कबाडिय़ों द्वारा लाकर अलग-अलग किया जाता था।

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