India News(इंडिया न्यूज़), Nirbhaya: 11 साल पहले 16 दिसंबर 2012 को कड़कड़ाती ठंड की रात में दिल्ली की सड़कों पर जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक पैरामेडिकल छात्रा अपनी सहेली के साथ मूवी देखकर घर लौट रही थी।
ये दोनों दिल्ली के मुनिरका बस स्टैंड पर एक बस में चढ़े। उस बस में पहले से ही ड्राइवर समेत छह लोग मौजूद थे। इसके बाद बस दूसरे रूट पर जाने लगी और बस में मौजूद लोगों ने बस के दरवाजे बंद कर दिए। जब लड़की के दोस्त ने किसी गलत बात का विरोध किया तो बस में मौजूद लोगों ने उसकी पिटाई कर दी और रॉड से हमला कर उसे अधमरा कर दिया। बस दिल्ली की सड़कों पर चलती रही और लोग लड़की को बस के पीछे ले गए और बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया। जब उसने विरोध किया तो उनमें से एक ने लड़की के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी। इससे उसकी आंतें फट गईं। इस क्रूरता के बाद दोनों को बस से सड़क किनारे फेंक दिया गया।
एक राहगीर की नजर उन दोनों पर पड़ी तो उसने दिल्ली पुलिस को सूचना दी। इसके बाद लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। लड़की की हालत बेहद गंभीर थी, संक्रमण उसके पूरे शरीर में फैल गया और उसे इलाज के लिए हवाई जहाज से सिंगापुर ले जाया गया, जहां जिंदगी और मौत से जूझते हुए 29 दिसंबर 2012 की रात उसकी मौत हो गई। 2013 में, निर्भयाना को मरणोपरांत अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से अंतर्राष्ट्रीय साहस महिला पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इस घटना के बाद देशभर में लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उस लड़की (निर्भया) को न्याय दिलाने के लिए देशभर में लोग सड़कों पर उतरे और आवाज उठाई। निर्भया केस में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 दिसंबर 2012 को मुख्य आरोपी और बस ड्राइवर राम सिंह समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तार आरोपियों में बस ड्राइवर राम सिंह, विनय गुप्ता, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर और एक अन्य नाबालिग शामिल है। बस ड्राइवर राम सिंह ने मुकदमे के दौरान तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली और नाबालिग को तीन साल कैद की सजा सुनाई गई। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 मार्च 2020 को सुबह 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दे दी गई।
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