India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Noida: उत्तर प्रदेश के नोएडा में साइबर फ्रॉड के मामलों पर नजर रखने के लिए एक नई पहल शुरू हुई है। इस क्षेत्र में हो रही साइबर ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए, गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी (जीबीयू) ने साइबर फॉरेंसिक लैब की स्थापना की है।
इस कार्य में यूनिवर्सिटी ने साइबर टेक नाम की एक कंपनी के साथ मिलकर स्कूल ऑफ आईसीटी बिल्डिंग में एक नया लैब स्थापित किया है। यह लैब इस माह के अंत तक तैयार हो जाएगा और अगले माह से साइबर सुरक्षा से जुड़े शॉर्ट टर्म कोर्स भी शुरू होंगे। इस कोर्स के लिए पहले ही काफी संख्या में आवेदन आ चुके हैं।
नोएडा के सेक्टर 62 में स्थित ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड (BECIL) में हुए एक महत्वपूर्ण बैठक में गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आरके सिन्हा ने साइबर फॉरेंसिक लैब स्थापित करने और साइबर अपराध से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक में डॉ. अरुण सोलंकी, डॉ. आरती गौतम डिंकर, कार्तिकेय तिवारी और बीईसीआईएल के प्रतिनिधियों ने भी शामिल होकर साइबर सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इस लैब के बन जाने से पुलिस कर्मी, सेना के अधिकारी और अन्य लोग साइबर अपराध से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकेंगे।
गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर रविंद्र सिन्हा ने बताया कि आजकल साइबर क्राइम के मामले बढ़ रहे हैं और इसके सामने हमें तैयार रहना जरूरी है। इसी दिशा में, संस्थान में शासन के निर्देश पर 50 करोड़ रुपये की लागत से एक AI सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। साथ ही, साइबर सुरक्षा से जुड़ी चीजों के प्रशिक्षण के लिए एक साइबर फरेंसिक लैब की स्थापना भी की जा रही है। इस लैब के माध्यम से छात्रों को प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही, फॉरेंसिक विज्ञान कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम डिजाइन और व्यावसायिक भागीदारी के विचार विमर्श किए गए हैं।
कंप्यूटर और मोबाइल फोरेंसिक प्रशिक्षण के लिए अगले माह से एक शॉर्ट टर्म कोर्स शुरू किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम में, स्टूडेंट्स को साइबर सुरक्षा से जुड़ी विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा, जहां कंपनी के विशेषज्ञ और यूनिवर्सिटी के अनुभवी स्टाफ शामिल होंगे।
इसके अलावा, बच्चों के लिए भी एक विशेष कोर्स तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा में उन्हें शिक्षित करना है। प्रोफेसर सिन्हा ने बताया कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से छात्रों को साइबर अपराधों के खिलाफ सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यहां तक कि लैब स्थापित होने के बाद भी विशेष विचार के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
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