Delhi jam news: दिल्ली वाले जाम के झाम से बेहाल हैं। वाहन चालकों को हर रोज घंटों सड़कों पर जाम के बीच पिसना पड़ रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ-साथ शारीरिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, जाम केवल राजधानी दिल्ली ही नहीं यह देश और दुनिया के लिए नई मुसीबत बन चुका है। वहीं दिल्ली की बात करें तो हाल के रिपोर्ट के मुताबिक, चार दशक में यानि साल 1981 से 2021 के बीच दिल्ली में वाहनों की संख्या 21 गुना तक बढ़ गई है। इस दौरान सड़कों के विस्तार की रफ्तार सिर्फ दोगुनी रही। 1981 में दिल्ली में सड़कों का जाल 15,478 किलोमीटर था जोकि 2021 में 33,198 किलोमीटर हुआ।
इस दौरान वाहनों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। खासकर दिल्ली, एनसीआर और बेंगलुरु में इसमें बड़े संख्या में इजाफा देखा गया है। जिसकी वजह से सड़कों पर वाहनों की क्षमता तीन गुना अधिक बढ़ी है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राज्यमार्ग मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2015 में देशभर में कुल 21 करोड़ वाहन पंजीकृत थे। यह आंकड़ा वर्ष 2019 में 41 फीसदी बढ़कर 29.6 करोड़ के पार पहुंच गए। दिल्ली में वाहनों की संख्या हाल के 10 वर्षों में काफी तेजी से बढ़ी है। मौजूदा आकंड़ें के अनुसार, साल 2012-22 के बीच दिल्ली में 57.66 लाख वाहन बढ़े है जबकि एनसीआर के शहरों की बात की जाए तो नोएडा में 6 लाख, गाजियाबाद में 8.77 लाख,फरीदाबाद में 7 लाख और गुरुग्राम में यह संख्या 8 लाख है।
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हाल के दिनों में दिल्ली और देश में जाम की समस्या से निजात पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा कई तरह के जरूरी कदम उठाए गए। दिल्ली की बात की जाए तो केजरीवाल सरकार ने ऑड-इभेन सिस्टम को लागू किया। जिसका सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिला। हालांकि इससे पूर्णरूप से इस समस्या से निजात नहीं मिल सकी।
इसके अलावा समय-समय पर सरकार के द्वारा लोगों को साइकिल और सार्वजनिक यातायात सुविधाओं का इस्तेमाल करने की अपील की गई। जिससे इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। मान लीजिए कि एक घर के चार सदस्यों के पास चार कारें हैं और उनमें से प्रत्येक अपनी कार ले जाता है, निश्चित रूप से यह एक ट्रैफ़िक समस्या का कारण बनेगा। इसलिए, एक बार में एक ही कार में एक साथ यात्रा करने के बजाय सार्वजनिक परिवहन को चुनकर कर इसे बढ़ावा देने और ट्रैफिक नियमों का पालन करने से कुछ हद तक ट्रैफिक की समस्या भी कम हो सकती है।
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