इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान और केयर आनको बायोटेक ने आज एक साझा समझौता किया। उक्त समझौते के तहत अगले 5 साल में 15000 कैंसर मरीजों का टीईपी स्केन टेस्ट किया जाएगा। ब्लड के जरिए कैंसर का पता लगाने वाला टीईपी स्केप जेनोमिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है। इसके साथ ही इस विश्वसनीय टेस्ट से बहुत कम कीमत और वक्त में किसी को कैंसर है या नहीं इसकी जानकारी मिल सकेगी।
टीईपी स्केन तकनीक के जरिए न केवल शुरूआती स्टेज पर ही कैंसर की जानकारी मिल सकती है। बल्कि मरीज के चल रहे कैंसर के उपचार की प्रभावशीलता की भी जानकारी मिलेगी। दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान के निदेशक डॉक्टर किशोर सिंह ने कहा कि मुझे ये कहते हुए काफी खुशी हो रही है कि यह सिस्टम भारतीय वैज्ञानिकों ने तैयार किया है और हमने इस पद्धति के लिए केयर आॅनको बायोटेक से करार किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान टेस्ट को सत्यापित करने में मदद करेगा। जिससे इसकी एक्यूरेसी की जानकारी लग सके।
कम पैसे, कम वक्त और आसानी से उन लैब में भी इस टेस्ट को इस्तेमाल में लाया जा सकता है जहां संसाधन कम हैं। वहीं, केयर आॅनको बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापक निदेशक रूपा मित्रा ने बताया कि हमारी कोशिश है कि लोगों को सही वक्त पर बीमारी की जानकारी हो जिससे इलाज में देरी न हो। शुरूआती स्तर पर कैंसर की पहचान से उसके निदान की संभावना काफी बढ़ जाती है। हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान से हाथ मिलाने की वजह से काफी फायदा होगा।
आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटेशनल बायोलॉजी और कंप्यूटर साइंस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और केयर आॅनको बायोटेक के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर देबारका सेन गुप्ता ने कहा कि इस टेस्ट की खोज की बाद मुझे काफी गर्व हो रहा है कि हमने इसको सत्यापित करने को लेकर दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान से हाथ मिलाया है। अलग अलग तरह के कैंसर से पीड़ित 15000 मरीजों के टेस्ट सैंपल के दम पर हमारे पास एक पुख्ता डेटा आयेगा जिससे कि आने वाले वक्त में लिक्विड बायोप्सी पर आधारित कैंसर की स्क्रीनिंग में एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा
। वही, दिल्ली आईआईटी के कंप्यूटेशनल बायोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और केयर आॅनको बायोटेक में लैब आॅपरेशन के प्रमुख सलाहकार डॉक्टर गौरव आहूजा ने कहा कि टीईपी स्केन टेस्ट जल्दी किया जा सकता है। साथ ही ये भरोसेमंद है। इससे कैंसर के मरीजों में कमी आयेगी। हर साल 14 लाख नए कैंसर के मरीजों की पहचान होती है पर इनमें से 80 प्रतिशत मरीजों की बीमारी का पता तीसरे या चौथे चरण तक कैंसर के पहुंचने पर चलता है। भारत के बाहर इस टेस्ट की कीमत करीब 50000 रु से लेकर 1 लाख रुपए तक आती है। वहीं, भारत में इस टेस्ट के लिए मरीजों से महज 8000-10000 रु लेने का प्रस्ताव है।
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