Delhi: प्रदेश में बढ़ते अपराध की घटनाओं पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने सोमवार को बड़ा फैसला लिया है। बता दें, पुलिस कमिश्नर ने पूर्व कमिश्नर के फैसले को बदलते हुए पीसीआर को एक बार फिर से अलग यूनिट बना दिया है। मालूम हो, शुरू से ही पूर्व कमिश्नर के इस फैसले को गलत बताया जा रहा था। हाल ही में हुए कंझावला कांड के बाद पीसीआर वैन परलगातार सवाल उठाए जा रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक, स्टडी कराकर व सभी अधिकारियों से रिपोर्ट लेकर पुलिस कमिश्नर ने यह कदम उठाया है।
बता दें, दिल्ली पुलिस की ओर से बीते सोमवार शाम जारी एक बयान में कहा गया है कि नए फैसले के बाद पीसीआर यूनिट जिला पुलिस व थानों से 30 मार्च, 2023 तक अलग हो जाएंगी। रिपोर्ट के मुताबिक,मौजूदा समय में 5219 पीसीआर कर्मी और 750 पीसीआर वैन जिला पुलिस के अधीन काम कर रही हैं।
मालूम हो, पूर्व कमिश्नर अस्थाना ने एक सितंबर, 2021 को एक आदेश पारित कर पीसीआर का थानों में विलय करने के साथ-साथ विशेष पुलिस आयुक्त, पीसीआर और उपायुक्त, पीसीआर के पद भी खत्म कर दिए थे। जानकारी दें, कंझावला कांड के समय भी पीसीआर वैन समय पर नहीं पहुंच सकी थी। जिसके बाद इस मामले में छह पीसीआर कर्मी सस्पेंड किए गए थे।
कंझावला कांड के बाद नए पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने पीसीआर सिस्टम पर स्टडी कराई। स्टडी में पाया गया कि विलय के फैसले में कई खामियां हैं। साथ ही पीसीआर पर दिल्ली पुलिस की ओर से जारी एक सकुर्लर में कहा गया है कि एक वर्ष के अंदर ही पता चल गया कि पीसीआर का थानों में विलय करने से कोई फायदा नहीं दिखाई दे रहा है। बता दें, नए पुलिस कमिश्नर के फैसले के बाद भी 30 मार्च तक पीसीआर वैन की जिम्मेदारी जिला पुलिस के पास ही रहेगी।