इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
दिल्ली की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और आनंद के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण की जमानत याचिका खारिज कर दी। सुब्रमण्यम, पूर्व समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार। विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने मामले में चित्रा रामकृष्ण और अरविंद सुब्रमण्यम को जमानत देने से इनकार कर दिया।
ट्रायल कोर्ट में चित्रा रामकृष्ण की यह पहली और अरविंद सुब्रमण्यम की दूसरी जमानत याचिका थी। इसी अदालत ने हाल ही में आदेश को सुरक्षित रखते हुए कहा था कि आरोपी चित्रा रामकृष्ण की ओर से दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 के तहत जमानत अर्जी पर लंबी दलीलें सुनी गईं और निष्कर्ष निकाला गया।
सीबीआई ने मार्च में चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम को फरवरी में एनएसई को-लोकेशन मामले में गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने रामकृष्ण की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह अत्यधिक प्रभावशाली हैं और जमानत पर रिहा होने पर दस्तावेजी/डिजिटल साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ कर सकती हैं और गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकती हैं। याचिकाकर्ता प्रासंगिक अवधि के दौरान एनएसई का एक उच्च पदस्थ अधिकारी था। उसके खिलाफ आपत्तिजनक साक्ष्य पहले ही सामने आ चुके हैं। जमानत देने के परिणाम जांच पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे।
सीबीआई ने अपने जवाब में यह भी कहा कि अन्य गवाहों से पूछताछ की जा रही है ताकि सह-स्थान की स्थापना से संबंधित साजिश का पता लगाया जा सके और इसमें आवेदक चित्रा रामकृष्ण द्वारा निभाई गई भूमिका का पता लगाया जा सके। ऐसी आशंका है कि जमानत मिलने पर वह गवाहों को बहका सकती है। बाजार नियामकों ने पाया कि एनएसई और उसके शीर्ष अधिकारियों ने समूह संचालन अधिकारी और प्रबंध निदेशक के सलाहकार के रूप में आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति से संबंधित प्रतिभूति अनुबंध मानदंडों का उल्लंघन किया।
यह भी पढ़ें : पांच महीने से वेतन नहीं मिलने के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे नगर निगम के टीचर