इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। तीन साल पहले एक क्लस्टर बस की चपेट में आकर अपने दोनों पैर गंवाने वाले 24 वर्षीय युवक को अदालत ने एक करोड़ चार लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। यह रकम क्लस्टर बस का बीमा करने वाली कंपनी को दिव्यांग हुए युवक को देनी होगी। कड़कड़डूमा स्थित एमएसीटी जज सुनाली गुप्ता की अदालत ने इस मामले में युवक की कम उम्र, उसकी दिव्यांगता और दैनिक कार्य के लिए भी दूसरों पर निर्भरता के मद्देनजर यह मुआवजा रकम तय की है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि युवक की उम्र महज 24 साल है। पूरी जिंदगी उसके सामने है, जबकि वह खुद के पैरों पर चलने के काबिल नहीं रहा है। ऐसे में उसके भविष्य और जीवन-यापन की मुश्किलों में राहत के लिए आर्थिक मदद आवश्यक है। अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि यह दुर्घटना क्लस्टर बस चालक की गलती की वजह से हुई है। इसलिए इस मुआवजा रकम का भुगतान बस का बीमा करने वाली द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को करना होगा।
अदालत ने युवक को धीरे-धीरे आर्थिक रकम मिलते रहने के लिए एक अलग तरीका अपनाया है। अदालत ने बीमा कंपनी को कहा है कि वह पूरी रकम 30 दिन के भीतर अदालत परिसर स्थित यूको बैंक में जमा करा दे अन्यथा उसे नौ फीसदी ब्याज के बजाय 12 फीसदी के ब्याज का भुगतान करना होगा। अदालत ने युवक की आएदिन की जरूरत के मद्देनजर बैंक को कहा है कि युवक के नाम पर जमा होने वाली इस राशि को एक-एक लाख रुपये के हिसाब से फिक्स्ड डिपॉजिट किया जाए।
हर तीन महीने में एक लाख रुपये की एफडी को मैच्योर करने की तारीख डाली जाए। तीन महीने में एक लाख रुपये मय ब्याज युवक के खाते में स्थानान्तरित कर दिए जाएं। इस तरह हर तीन महीने में एक-एक लाख रुपये युवक के खाते में आते रहेंगे और वह अपनी जरूरतों के हिसाब से बैंक से इन्हें निकालता रहेगा। अपने जीजा की फैक्टरी में काम करने वाला युवक विक्रांत 5 सितंबर 2019 को मोटरसाइकिल से सेवा धाम स्थित अपने जीजा की फैक्टरी में ड्यूटी पर जा रहा था। तभी गोकुलपुरी फ्लाईओवर पर तेज रफ्तार में आती क्लस्टर बस ने उसकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। इसके बाद बस युवक के दोनों पैरों के ऊपर से उतर गई। हादसे में युवक के दोनों पैर कट गए थे।