इंडिया न्यूज, New delhi news : दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने कचरा फेंकने के स्थलों पर आग लगने और इससे राष्ट्रीय राजधानी में वायु की गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि बूचड़खानों और मछली बाजार का जैविक कचरा लैंडफिल स्थलों तक न पहुंच पाए।
लैंडफिल कचरा फेंकने वाले स्थलों को कहा जाता है। राष्ट्रीय राजधानी में तीन लैंडफिल स्थल-गाजीपुर, भलस्वा और ओखला हैं। डीपीसीसी ने एमसीडी से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि लीथियम बैटरी सहित औद्योगिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी इन लैंडफिल स्थलों पर न डाला जाए। लैंडफिल स्थलों पर डाले गए जैविक कचरे के सड़ने पर मीथेन गैस बनती है। गर्मी के मौमस में मीथेन में आसानी से आग लग जाती है और वहां मौजूद कपड़े, प्लास्टिक आदि जैसी ज्वलनशील चीजों से आग तेजी से फैल जाती है।
डीपीसीसी ने 10 जून को जारी एक आदेश में एमसीडी को कचरा फेंकने वाले स्थानों पर मीथेन गैस डिटेक्टर लगाने को कहा, ताकि उन जगहों की पहचान की जा सके। जहां मीथेन गैस अधिक मौजूद है और उससे निपटने के लिए कदम उठाए जा सकें। दिल्ली में इस साल अभी तक पांच बार लैंडफिल में भीषण आग लग चुकी है। इनमें से तीन बार गाजीपुर और दो बार भलस्वा में आग लगने की घटनाएं हुईं।
भलस्वा में 26 अप्रैल को लगी आग 10 दिन से अधिक समय तक भभकती रही थी, जिससे आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया था। इस महीने की शुरूआत में, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने लैंडफिल स्थलों पर आग की घटनाओं को रोकने के लिए नौ सूत्री कार्य योजना शुरू की थी। जिससे आग लगने की घटनाओं को रोका जा सकें।
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