Tuesday, July 9, 2024
HomeDelhiOverthinking: ज्यादा सोचने की आदत छोड़ दें, वरना घर कर सकती है...

India News(इंडिया न्यूज़)Overthinking: जब आप बहुत ज्यादा सोचते हैं तो हमारा दिमाग लगातार एक तरह के दबाव में रहता है, जिसका असर शरीर के अन्य अंगों और हार्मोनल स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसे में इन सभी गतिविधियों के बीच शरीर बीमार पड़ने लगता है और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जब आप बहुत ज्यादा सोचते हैं तो हमारा दिमाग लगातार एक तरह के दबाव में रहता है, जिसका असर शरीर के बाकी हिस्सों और हार्मोनल स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। है। ऐसे में इन सभी गतिविधियों के बीच शरीर बीमार पड़ने लगता है और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप बहुत ज्यादा सोचते हैं या किसी भी चीज के बारे में सोचने लगे हैं तो आपको थोड़ा सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि यह किसी को भी गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है।

ज्यादा सोचने से दिमाग पर बनता है दबाव 

कुछ लोग हर चीज़ के बारे में बहुत ज़्यादा सोचते हैं। दूसरों की तुलना में ऐसे लोगों का दिमाग कभी शांत नहीं रहता और हमेशा सोच-विचार में ही लगा रहता है। लेकिन ये आदत हमारी सेहत के लिए अच्छी नहीं है। क्योंकि जब आप सोचते हैं तो मस्तिष्क पर लगातार दबाव पड़ता है जिसका असर शरीर के अन्य अंगों और हार्मोनल स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसके अलावा इससे तनाव होता है, आपको ठीक से भूख-प्यास नहीं लगती और कभी-कभी इसका असर आपकी नींद पर भी पड़ता है।

ऐसे में आपको नींद नहीं आती, इन सभी गतिविधियों के बीच हमारा शरीर बीमार पड़ने लगता है और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हमेशा तनाव में रहने से शरीर में हार्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है। ये हार्मोन दिल की धड़कन को तेज़ कर देते हैं और रक्त वाहिकाएं संकीर्ण हो जाती हैं। ये हरकतें कुछ समय के लिए बीपी बढ़ा देती हैं। तनाव शरीर में एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का उत्पादन बढ़ा सकता है, जो समय के साथ आपको उच्च रक्तचाप का रोगी बना सकता है।

हाई बीपी की समस्या

तनाव में रहने पर शरीर में हार्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है। ये हार्मोन दिल की धड़कन को तेज़ कर देते हैं और रक्त वाहिकाएं संकीर्ण हो जाती हैं। ये हरकतें कुछ समय के लिए बीपी बढ़ा देती हैं। दरअसल, तनाव शरीर में एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का उत्पादन बढ़ा सकता है, जो समय के साथ आपको उच्च रक्तचाप का रोगी बना सकता है।

नींद से जुड़ी बीमारियाँ

ज्यादा सोचने से नींद संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। होता यह है कि विचार आपके मस्तिष्क को आराम की स्थिति में नहीं जाने देते। आपके दिमाग में लगातार आते-जाते विचार आपको परेशान करते हैं और नींद के हार्मोन पर असर डालते हैं। इसके अलावा, यह नींद के चक्र को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण आप अनिद्रा और स्लीप एपनिया से पीड़ित हो सकते हैं।

डिप्रेशन होना

डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादा सोचने से शुरू होती है। दरअसल, बहुत ज्यादा सोचने से आपके दिमाग के अंदर की गतिविधियां धीमी हो जाती हैं और उसकी सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है। इसके अलावा यह दुख को बढ़ाता है और अकेला कर देता है। यह सोच गहरी होती जाती है और फिर आप डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं।

चिंता और व्यक्तित्व विकार

चिंता और व्यक्तित्व संबंधी विकार अत्यधिक सोचने से जुड़े हो सकते हैं। दरअसल, जब भी आप बहुत ज्यादा सोचते हैं तो आपको डर और घबराहट महसूस होती है। आप भविष्य की बातों को लेकर चिंतित रह सकते हैं। जब यह गंभीर हो जाता है तो इसका असर आपके जीवन पर पड़ता है और आप गंभीर व्यक्तित्व विकार का शिकार हो सकते हैं। इसलिए इस आदत को सुधारें और ज्यादा सोचना बंद करें।

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Nidhi Jha
Nidhi Jha
Journalist, India News, ITV network.
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