India News(इंडिया न्यूज़), PM Modi UAE Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे। अबू धाबी में मंदिर के उद्घाटन के अलावा नरेंद्र मोदी यहां कई अहम कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। मंगलवार शाम को ही प्रधानमंत्री मोदी ने एक बड़े कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थर से बने अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन यह मंदिर अपनी भव्यता से दुनिया भर के लोगों को आकर्षित कर रहा है।
अबू धाबी के बाद पीएम मोदी कतर के लिए रवाना होंगे। कतर में उनकी महामहिम शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की उम्मीद है। प्रधानमंत्री के कतर में कई अन्य उच्च गणमान्य व्यक्तियों से भी मुलाकात करने की संभावना है। अगर हिंदू मंदिर की बात करें तो BAPS हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बना है और इस मंदिर का निर्माण कार्य 2019 से ही चल रहा है।
बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस संस्था) के देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में मंदिर हैं। यह संस्था अब तक देश-दुनिया में 1100 से ज्यादा मंदिरों का निर्माण करा चुकी है। यह संस्था करीब 4 हजार केंद्र भी चला रही है। स्वामीनारायण संप्रदाय की इस संस्था द्वारा निर्मित भव्य स्वामीनारायण मंदिरों में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह संप्रदाय भगवान स्वामीनारायण को परब्रह्म मानकर उनकी पूजा करता है। आइए जानते हैं भगवान स्वामीनारायण कौन थे और उनके द्वारा स्थापित संप्रदाय किन सिद्धांतों पर चलता है।
भगवान स्वामीनारायण का जन्म 3 अप्रैल 1781 को उत्तर प्रदेश में अयोध्या के पास छपिया गांव में हुआ। उनका जन्म रामनवमी के दिन हुआ था। उनका नाम था-घनश्याम पांडे। वह बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने 5 साल की उम्र में पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया और 8 साल की उम्र में जनेऊ संस्कार पूरा करने के बाद उन्होंने धर्मग्रंथों का अध्ययन शुरू कर दिया। बहुत ही कम समय में उन्होंने अनेक शास्त्रों का अध्ययन कर लिया। शीघ्र ही उन्होंने घर छोड़ दिया और देश भ्रमण पर निकल गये। वह लोगों से मिलते, सत्संग करते और उपदेश देते। उनकी प्रसिद्धि तेजी से फैलने लगी और उनके अनुयायी उन्हें नीलकंठवर्णी कहने लगे।
देश के विभिन्न हिस्सों में ज्ञान और अध्यात्म की अलख जगाते हुए वे गुजरात भी पहुंचे। यहीं से उन्होंने स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना की। स्वामीनारायण संप्रदाय और उसके अनुयायियों के माध्यम से उन्होंने समाज की कई बुराइयों को दूर करने में बड़ा योगदान दिया। साथ ही इस सिद्धांत पर आगे बढ़ें कि ‘दूसरों की खुशी में ही हमारी खुशी है।’ इसके अलावा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी बड़े पैमाने पर राहत कार्य चलाए गए। उनकी सेवा भावना के कारण लोग उन्हें भगवान का अवतार मानने लगे और भगवान स्वामीनारायण कहने लगे।
भगवान स्वामीनारायण ने अपने शिष्यों को आध्यात्मिक रूप से तैयार किया। उन्हें दार्शनिक सिद्धांत, नैतिक मूल्य, अनुष्ठान आदि सिखाए गए। स्वामीनारायण संप्रदाय में कई गुरु हैं जिन्होंने भगवान स्वामीनारायण की आध्यात्मिक विरासत को आगे बढ़ाया। इसी तरह, भगवान स्वामीनारायण के तीसरे आध्यात्मिक उत्तराधिकारी शास्त्री जी महाराज ने 1907 में बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था की स्थापना की। जिसके द्वारा दुनिया भर में कई मंदिरों का निर्माण किया गया।