इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
अखिल भरतीय साहित्य परिषद गुरुग्राम इकाई के तत्वावधान में आर्य समाज मंदिर मॉडल टाउन में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। अध्यक्षता प्रान्तीय अध्यक्ष सारस्वत मोहन मनीषी ने की। दूरदर्शन के पूर्व निदेशक अमरनाथ अमर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी विशिष्ट अतिथि रहे। इकाई अध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा और उपाध्यक्ष विधु कालड़ा भी मंचासीन रहे।
अतिथिगण द्वारा भारत मां को पुष्पांजलि एवं नरेन्द्र खामोश के मधुर कंठ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का संचालन इकाई महामंत्री मोनिका शर्मा ने किया। अशोक शर्मा अक्स ने मां को याद करते हुए कहा-तुम बाद बहुत दिन आयी, हम सब तुम्हारी परछाई। हरेन्द्र यादव का माहिया देखिए मां से सुख दूना है, मां के बिन जग में, सब सूना सूना है। त्रिलोक कौशिक की रचना कुछ यूं थी-हाथ को हाथ मिलाने से डर लगता है, ख्वाब आएंगे तो मसल डालेंगे, अब तो नींद में जाने से डर लगता है।
वीरेंद्र कौशिक ने अपनी पंक्तियां मां को समर्पित करते हुए सुनाया-लोरी गा-गा के मुझको सुलाती रही, मेरे सपनों को सजाती रही, मीनाक्षी पांडेय ने अपनी गजल पढ़ी, परछाईया ही बढ़ गई, घटना पड़ा मुझे। इतना तुम्हारा कद बढ़ा, झुकना पड़ा मुझे। भिवानी से पधारे विकास यशकीर्ति ने सुनाया-नोची जा रही है रोज बेटी की बोटियां, सेंकते हैं लोग केवल राजनैतिक रोटियां। विनोद शर्मा ने अपना दर्द कुछ यूं बयां किया-तू छोड़कर मुझको निखर गया, मैं कतरा-कतरा बिखर गया।
नरेन्द्र शर्मा खामोश ने अपनी रचना के माध्यम से राष्ट्र के प्रति अपने भाव व्यक्त किये। नवोदित कवयित्री अनन्या सागर ने मां के लिए अपनी पंक्तियां पढ़ी-इस जग को तूने बनाया प्रभु, पर तुमसे मैं इक बात कहूं, मेरी मां से बढ़कर कोई नहीं, मेरी मां से सुंदर कोई नहीं। बिमलेन्दु सागर की रचना कुछ यूं थी, है जिसके पास मां उसपे गजब का नूर होता है कि बच्चा मां की गोदी में खुशी से चूर होता है, न जाने कौन सा मरहम है मेरी मां के हाथों में, महज सहलाने भर से दर्द यूं काफूर होता है।
प्रो. सारस्वत मोहन मनीषी ने ओजपूर्ण रचना पढ़ी-लाखों दीवानों ने गर्दन कटवाई थी, सच कहता हूं तब ही आजादी आयी थी। छोटी बहर की उनकी प्रसिद्ध गजल को उनके साथ श्रोताओं ने भी गुनगुनाया-एक आंख रानी, एक आंख पानी, तृप्ति है बुढ़ापा, प्यास है जवानी। वीणा अग्रवाल, सुरिंदर मनचन्दा, राधा शर्मा की रचनाओं को श्रोताओं ने सराहा। अनिल श्रीवास्तव की रचना-हम होंगे कामयाब…भी सराही गयी। मुख्य अतिथि अमरनाथ अमर ने सफल व सार्थक आयोजन के लिए गुरुग्राम इकाई को बधाई दी।