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Politics Heats Up With Kalka’s Letter : गुरु तेग बहादुर विश्वविद्यालय खोलने के लिए कालका के लिखे पत्र से सियासत गरमाई

• LAST UPDATED : March 23, 2022

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

Politics Heats Up With Kalka’s Letter : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका द्वारा गुरु तेग बहादुर विश्वविद्यालय की स्थापना पर दिए गए ब्यान पर जागो पार्टी ने सवाल उठाया है। जागो पार्टी के मुख्य महासचिव डॉ परमिंदर पाल सिंह ने कालका के ब्यान को सिख भावनाओं के साथ विश्वासघात करार दिया है।

परमिंदर पाल सिंह ने आश्चर्य व्यक्त किया कि 2021 के दिल्ली कमेटी चुनाव में गुरु तेग बहादुर विश्वविद्यालय की स्थापना के जुमले के सहारे सत्ता में वापसी करने वाले कालका को यह भी नहीं पता था कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर 2020 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय किया जा चुका है तथा कालका ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में इस पर ध्यान देना भी जरूरी नहीं समझा।

बड़े शहर में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने के लिए 250 एकड़ जमीन की होती है जरूरत Politics Heats Up With Kalka’s Letter

Politics Heats Up With Kalka's Letter

इसके अलावा चुनाव के दौरान दिल्ली कमेटी के नेताओं ने जोर-शोर से दिल्ली कमेटी का विश्वविद्यालय खोलने की बात कही थी, लेकिन अब केंद्रीय विश्वविद्यालय खुलवाने को लेकर सरकार की खुशामद की जा रही है। सरकारी नियमों के मुताबिक बड़े शहर में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने के लिए कम से कम 250 एकड़ जमीन की जरूरत होती है, जबकि 2014 से पहले जमीन की यह न्यूनतम जरूरत 500 एकड़ थी।

सवाल यह है कि अगर सरकार दिल्ली में 250 एकड़ जमीन ढूंढ भी लेती है तथा दिल्ली के बाहरी इलाके में गुरु तेग बहादुर साहिब के नाम पर एक नया विश्वविद्यालय खोलती है, तो सारे फंड की जिम्मेदारी और प्रबंध योजना केंद्र सरकार की होगी। उस हिसाब से दिल्ली कमेटी का इस विश्वविद्यालय पर कोई अधिकार नहीं होगा।

4 खालसा कॉलेजों में से एक में इस विश्वविद्यालय को स्थापित करने का दे रहें है प्रस्ताव

परमिंदर पाल सिंह ने कहा कि सरकार को लिखे पत्र में कालका दिल्ली विश्वविद्यालय के 4 खालसा कॉलेजों में से एक में इस विश्वविद्यालय को स्थापित करने का प्रस्ताव दे रहें है। लेकिन चार खालसा कॉलेजों के पास कुल 25 एकड़ जमीन है। इसलिए अगर सरकार किसी खालसा कॉलेज में सरकारी विश्वविद्यालय खोलने की मंजूरी दे भी देती है, तो उस विश्वविद्यालय का प्रबंधन सरकार के पास चला जाएगा। इसका सीधा अर्थ है कि वो खालसा कॉलेज सिख कौम के पास नहीं रहेंगा। (Politics Heats Up With Kalka’s Letter)

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