नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली के मुख्य सचिव (CS) से यमुना नदी में हो रहे पॉल्यूशन को लेकर सवाल उठाए है, और इस बात पर सफाई देने के निर्देश दिए है कि यमुना नदीं में प्रदूषक बहाने पर रोक लगाने और नदी के पानी की गुणवत्ता की सुरक्षा करने में प्रशासन की ‘खुल्लमखुल्ला विफलता’ पर क्यों ना दंडात्मक कार्रवाई की जाए।एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल ने कहा कि यह चिंता की बात है कि यमुना पुनरोद्धार का स्पष्ट खाका होने के बाद भी प्रशासन उसे साफ नहीं रख पाया।
NGT यमुना नदी में प्रदूषण के विरुद्ध में दिल्ली निवासी इशिका की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यमुना नदी में प्रदूषण और बढ़ गया है और वहां मल संबंधी बैक्टिरिया का स्तर तीन महीने पहले की तुलना में 14 गुना अधिक हो गया है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने मंगलवार को जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इस साल गणेशोत्सव और दुर्गा पूजा के दौरान यमुना या किसी अन्य जल निकाय में मूर्तियां विसर्जित नहीं किया जाए। डीपीसीसी ने आदेश में कहा है कि उल्लंघन करने वालो पर 50,000 रुपये का जुर्माना या छह साल की जेल की सजा हो सकती है।
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