इंडिया न्यूज, Haryana news : आत्मा से दूर रोजमर्रा की जिंदगी की धूल धोती है, हर एक इंसान में कोई न कोई कला जरूर होती है। कुछ इसी तरह से कला को खुद में समेटे है पूजा गोस्वामी।
उनका मानना है कि जीवन एक बार मिला है इसे खुलकर जी लो। अभी तो बढ़ाया है एक कदम-पूरा जहां अभी बाकी है, अब तो पहचानाना शुरू किया है खुद को-असली उड़ान अभी बाकी है।
इंजीनियरिंग में स्नातक पूजा ने जीवन के 16 साल तक कॉरपोरेट जगत में काम किया है। बेशक वह इस क्षेत्र में रहीं, लेकिन उसका सपना, उसकी सोच कुछ अलग ही था। समय के साथ वह खुद को कारपोरेट जगत से अलग कर कला के क्षेत्र में अपने आप को सक्रिय किया। भले ही वह कला का पहले क भी न जानती हों, लेकिन करत-करत अभ्यास के जड़मति होते सुजान वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए उसने अपने को कला में निपुण कर लिया। सच्ची लगन और सकारात्मक सोच के साथ वह इस क्षेत्र में कूची और रंगों से कैनवस पर कलाकृतियां उकेरती चली गई।
अब तक वे 50 से अधिक कलाकृतियां बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। अलग-अलग शहरों में वे प्रदर्शनी में अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित करती हैं। उसके कलाकृतियों के बहुत सारे लोग कद्रदान हैं। हर जगह उसकी कलाकृतियों को सराहना मिलती है। खुद को कला में निपुण करने के बाद पूजा गोस्वामी अब पेंटिंग की कक्षाएं भी चलाती हैं। ताकि कला को अगली पीढ़ी में भी पैदा किया जा सके। उसका मानना है कि कला हम सबके भीतर है। हमें उसे पहचानना चाहिए। अगर कला को समर्पित नहीं हो सकते कम से कम उसे अपने जीवन का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। भले ही कला की कोई जुबान न होती हो लेकिन वह बहुत कुछ कह देती है।