India News(इंडिया न्यूज़), Pulse Polio Abhiyan: हर बच्चों के लिए पोलियो वैक्सीन लगनावा बहुत जरूरी होता है। पोलियो वैक्सीन बच्चों को 0 से 5 साल के उम्र में दिया जाता है। बता दे कि वैक्सीन बच्चों को कई खतरनाक बीमारियों से बचाता है। पोलियो वैक्सीन कई बीमारी जैसे कि पोलियोमायलाइटिस से बच्चों को सेफ रखता है। ऐसे आज हम आपको पोलियो वैक्सीन के महत्व के बारें में बताएंगे की ये बच्चों के लिए इतना जरूरी क्यों है और इससे आप अपने बच्चों को कैसे बचा सकते है।
भारत सहित कई देशों में पोलियो बच्चों के लिए अभिशाप था। वह जिसका भी शिकार करता, उसका जीवन नर्क बन जाता। शरीर असफल हो जायेगा। इसके परिणामस्वरूप कम उम्र में ही दर्दनाक मौत हो गई और लाखों परिवार इस बीमारी से प्रभावित हुए।
प्रारंभिक अवस्था में पोलियो एक सामान्य फ्लू की तरह होता है। अधिकांश में लक्षण दिखाई भी नहीं देते। इसमें गले में खराश, बुखार, थकान, उल्टी, सिरदर्द और पेट दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह लक्षण 2-3 दिनों तक रहता है और फिर अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ लोगों पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है। शरीर लकवे का शिकार हो जाता है। कोई भी व्यक्ति, लकवाग्रस्त या गैर-लकवाग्रस्त, पोलियो से प्रभावित हो सकता है। पैरालिटिक पोलियो आमतौर पर गैर-पैरालिटिक पोलियो के समान लक्षणों के साथ शुरू होता है, लेकिन जल्द ही तीव्र दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन तक बढ़ जाता है। इससे पैर या बांह का पक्षाघात हो सकता है।
ये संक्रामक रोग है, जो एक वायरस के कारण होता है। पोलियो दूषित पानी या भोजन या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से फैलता है। इससे लकवा भी हो जाता है।
सीडीसी के अनुसार, बच्चों को पोलियो वैक्सीन की चार खुराकें मिलनी चाहिए। पहली खुराक तब दी जानी चाहिए जब वे 2 महीने के हों, फिर 4 महीने के होने पर। अगली खुराक 6 महीने से 18 महीने के बच्चों और 4 से 6 साल के बच्चों को दी जानी चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल के बाद भारत ने वर्ष 1995 में 100% कवरेज के लक्ष्य के साथ एक सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के साथ पल्स पोलियो अभियान कार्यक्रम शुरू किया। जिसके बाद देशभर में अभियान चलाया गया। बच्चों को निःशुल्क पोलियो की दवा पिलाई गई। इस अभियान का लाभ यह हुआ कि पूरा देश पिछले 12 वर्षों से पोलियो मुक्त है।