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Qutub Minar Issue: आज दिल्ली के साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार पर होगी सुनवाई, हिंदू पक्ष ने की ये मांग

• LAST UPDATED : September 13, 2022

Qutub Minar Issue:

नई दिल्ली: आज कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर में रखी मूर्तियों की पूजा करने की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई होने वाली है। यह सुनवाई दिल्ली के साकेत कोर्ट (Saket Court)में कि जाएगी। 24 अगस्त को हुई सुनवाई में खुद को इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग करने वाले महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह के वकील अदालत में मौजूद नहीं थे। इस वजह से सुनवाई को टाल दिया गया। महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने दावा किया है कि आगरा से मेरठ तक की जमीन उनकी पुश्तैनी है। इसलिए सरकार के पास कुतुब मीनार के आसपास की जमीन पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) इन याचिकाओं के विरोध में है। 1993 में यूनेस्को (UNESCO) ने कुतुब मीनार को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। यह परिसर अभी एएसआई के संरक्षण में है।

महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह का दावा-

महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह का ने यह दावा किया है कि कुतुब मीनार जिस जमीन पर बना है, वह उनके परिवार की है। उन्होंने कहा है कि पूरा क्षेत्र बेसवान परिवार और राजा रोहिणी रमन के उत्तराधिकारी धवज प्रसाद सिंह और राजा नंद राम के वंशज की है, जिनकी मौत 1695 में हुई थी। इसलिए सरकार को अधिकार नहीं है कि वह कुतुब के आसपास की जमीन पर निर्णय ले। याचिकाकर्ता ने कहा है कि 1947 में भारत की आजादी के बाद सरकार ने न तो कोई संधि की और न ही कोई विलय किया है।

ASI ने किया इस याचिका का विरोध

एएसआई कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की इस याचिका के विरोध में हैं। पिछली सुनवाई में एएसआई ने कहा कि  पिछले 150 साल से उन्होंने कुछ क्यों नहीं कहा। एएसआई ने आगे कहा,”वह किसी सुबह उठकर बिना किसी आधार के वकील के रूप में इस अदालत में आते हैं।”

साकेत कोर्ट ने 9 जून को कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदुओं और जैनियों के लिए पूजा के अधिकार की मांग करने वाली अपीलों पर अपने आदेश की घोषणा को 24 अगस्त के लिए सुरक्षित किया था। कुतुब मीनार के मालिकाना वालि याचिका को देखते हुए अदालत ने यह फैसला किया। अदालत ने कहा था कि मालिकाना तय किए बिना पूजा की इजाजत देने वाली याचिका पर फैसला नहीं किया जा सकता है। इस मामले पर हिंदू पक्ष ने कहा थी की उन्हें सिर्फ पूजा का अधिकार दे दिया जाए। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष ने परिसर में नमाज पढ़ने की मांग की थी। कोर्ट को इस बात पर का फैसला करना है कि इमारत का स्वरूप कैसा है।
निचली अदालत ने बिना तथ्य जांचे याचिका की थी खारिज
दिल्ली की एक निचली अदालत ने इससे पहले कुतुब मीनार परिसर में पूजा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि निचली अदालत ने तथ्यों को जांचे बिना ही उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। उनका कहना है कि कानून के अनुसार इस याचिका पर विचार करने के बाद निचली अदालत को कुतुब मीनार परिसर में रखी हुई मूर्तियों की जांच और सर्वे के आदेश देना चाहिए थे जिसके बाद सही आदेश दिया जा सकता था।
एएसआई ने दी ये दलील-

एएसआई ने कुतुब मीनार परिसर में रखी मूर्तियों की पूजा का अधिकार मांगने पर कहा है कि यह कोई उपासना स्थल नहीं है। उसके अनुसार स्मारक की मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता है। एएसआई का कहना है कि केंद्र संरक्षित इस स्मारक में उपासना के मौलिक अधिकार का दावा कर रहे किसी भी व्यक्ति की दलील से सहमत होना कानून के विपरीत होगा। इस परिसर में पूजा नहीं हो सकती है।

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