India News(इंडिया न्यूज़), Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाली के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया है। ‘मोदी सरनेम’ को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के मामले में सूरत की एक अदालत ने राहुल को दोषी पाया था, जिसके चलते उन्हें अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसके चलते राहुल की सदस्यता बहाल हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ सदस्यता बहाली के खिलाफ याचिका खारिज कर दी, बल्कि याचिकाकर्ता पर हर्जाना भी लगाया। कोर्ट ने याचिका को निराधार बताते हुए याचिकाकर्ता अशोक पांडे पर 1 लाख रुपये का मुआवजा लगाया है। इससे पहले लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाली को चुनौती देने पर पांडे पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। पांडे का कहना है कि जब तक कोई ऊपरी अदालत में निर्दोष साबित न हो जाए, उसे सदन में वापस नहीं लिया जाना चाहिए।
दरअसल, 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सूरत कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें निचली अदालत ने मानहानि मामले में राहुल को दोषी पाया था। सूरत कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके चलते राहुल को अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी। इसके बाद राहुल गुजरात हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गए। गुजरात हाई कोर्ट से राहुल को राहत नहीं मिली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मानहानि के मामले में राहुल गांधी को अधिकतम दो साल की सजा देने का कोई कारण नहीं है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजीव कुमार की पीठ ने कहा था, ‘ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक सजा के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।’ पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश का प्रभाव काफी व्यापक है।
राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था, ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’ राहुल के इस बयान पर काफी विवाद हुआ और फिर गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 2019 में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया। कई सालों तक कानूनी कार्रवाई चलती रही। इसके बाद पिछले साल 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने राहुल को दोषी पाया और दो साल की सजा सुनाई।
नियमानुसार अगले ही दिन राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गयी। इसके बाद कांग्रेस नेता ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध के साथ सूरत अदालत के आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी। हालाँकि, सत्र अदालत ने उन्हें 20 अप्रैल को जमानत दे दी और उनकी चुनौती पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गई, लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके बाद 15 जुलाई को राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
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