India News(इंडिया न्यूज़), Railway Safety: दिल्ली उच्च न्यायालय ने रेलवे को DUSIB (दिल्ली सिटी कंजर्वेशन इम्प्रूवमेंट बोर्ड) के माध्यम से अपने नियंत्रण क्षेत्र और क्षेत्र के बाहर के यात्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया है। रेलवे के मुताबिक, रेलवे ट्रैक से बाहर 15 मीटर का इलाका सेफ्टी जोन मे आता है। प्रख्यात वैज्ञानिक और न्यायमूर्ति मिनी पुष्णा की पीठ ने आदेश में कहा कि रेलवे उन झुग्गियों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है जो रेलवे ट्रैक के सीमा से बाहर हैं।
डूसिब के वकील ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि अगर बोर्ड से किसी तरह की मदद की जरूरत होगी तो वह इसके लिए जरूर तैयार हैं। मामले में अगली सुनवाई 11 मार्च 2024 को होगी। हाई कोर्ट दो अलग-अलग दाखिलों पर एक साथ सुनवाई कर रहा है। इसमें ‘मजदूर एवं आवास कल्याण समिति एवं अन्य’ की ओर से पत्र लिखा गया है, जिसमें सोहनलाल एवं अन्य शामिल हैं।
उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा कि पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि केवल उन झुग्गीवासियों को उन लाभों से सुरक्षा और स्थिरता का अधिकार है जो डुसिब द्वारा प्रतिभागियों के अंदर शामिल किए गए हैं। हालाँकि,ऐसा कोई दावा नहीं किया जा सकता है जो रेलवे लाइनों के पास और दूसिब द्वारा चिन्हित हिस्से के बाहर बसे हुए हैं। कंपनियों का कहना था कि उनकी झुग्गियां डूसिब से होकर गुजरती हैं।
2018 में जब यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने रेलवे और डीयूएसआईबी को संयुक्त रूप से ऐसे इलाकों और जमीन-जायदाद का सर्वे करने का निर्देश दिया था। उस समय रेलवे ने कोर्ट में कहा था कि जोन से हटाये जाने वाले झुग्गीवासियों को किसी दूसरी जगह बसाने की न तो कोई योजना है और न ही कोई जिम्मेदारी है। दूसरी ओर, डूसिब के खिलाफ इसी तरह की कई कार्रवाई करने से बचा जा रहा था। इस मामले में काफी समय तक रेलवे और डीयूएसआईबी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और उक्त सर्वे को रोक दिया गया। हाईकोर्ट के प्रस्ताव के बाद ही इस प्रक्रिया ने जोर पकड़ा।
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