India News(इंडिया न्यूज़), Rice: बाजार में चावल की विभिन्न किस्में मौजूद हैं, जो अपने अलग-अलग गुणों के लिए जानी जाती हैं। ऐसा ही एक चावल है काला नमक। इसकी सुगंध भीनी-भीनी होती है और यह खाने में भी स्वादिष्ट होता है। लेकिन इसकी कीमत 150 रुपये के आसपास है। इसकी वजह कम पैदावार है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इसकी आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पूसा ने चावल के दो व्यंजन इस तरह तैयार किए हैं। जो स्वाद और सुगंध में काला नमक चावल जैसा होगा। यह चावल उन्हीं क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है जहां पहले से ही काला नमक चावल उगाया जाता है।
काला नमक चावल पूर्वी उत्तर प्रदेश के केवल 11 जिलों में पाया जाता है, जो केवल इसी क्षेत्र के पानी और मिट्टी में उगता है। इसे भगवान बुद्ध का प्रसाद माना जाता है। यह चावल अपनी खुशबू के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। लेकिन इसकी उपज 1.5 से 2 टन प्रति हेक्टेयर ही होती है। पूसा अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए पिछले 15-16 वर्षों से इस दिशा में काम कर रहा था, जिसे हाल ही में सफलता मिली है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आरएआरआई-पूसा) के निदेशक डॉ. एके सिंह ने कहा कि पूसा 2008 से लगातार काला नमक चावल पर काम कर रहा है। सफलता मिली है और दो किस्में पूसा नरेंद्र काला नमक 1 और सीआरडी काला नमक 2 तैयार की गई हैं। इन दोनों किस्मों की उपज 4.5 से 5 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है। और स्वाद और सुगंध भी एक जैसी होती है। क्योंकि यह किस्म भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की ही जलवायु और मिट्टी के लिए तैयार की गई है। इन इलाकों में इनकी टेस्टिंग भी हो चुकी है। दोनों किस्मों को पिछले साल जारी किया गया था। इस साल पहली बार किसानों को इसका बीज सीमित मात्रा में मिलेगा। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष यह बीज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगा।
सामान्य काला नमक चावल का बीज बहुत लम्बा होता है जो पकने के बाद गिर जाता है। ऐसे में पैदावार कम होती है। लेकिन पूसा द्वारा विकसित चावल की लंबाई 1 मीटर से भी कम है जो पकने के बाद नहीं गिरेगा। साथ ही बीमारियां होने की संभावना भी कम होगी। सिद्धार्थ नगर में काला नमक पैदा करने वाले किसान अमृतांश मिश्रा कहते हैं कि अगर पूसा के नए केंद्र से चावल का उत्पादन बढ़ता है तो यह यहां के किसानों के लिए बहुत अच्छा होगा। कम उत्पादन के कारण अब तक कुछ ही किसान बुआई करते थे, लेकिन अधिक किसान बुआई कर सकेंगे और मांग के अनुरूप आपूर्ति भी हो सकेगी।