Tuesday, July 9, 2024
HomeDelhiजहरीली हवा में सांस ले रही दिल्ली, कनॉट प्लेस में 23 करोड़...

Smog Tower: जहरीली हवा में सांस ले रही दिल्ली, कनॉट प्लेस में 23 करोड़ रुपये का स्मॉग टावर भी पड़ा फीका

India News(इंडिया न्यूज़), Smog Tower: दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्मॉग टॉवर, जिसका उद्घाटन 2021 में हुआ था, बंद है और चालू नहीं है। दिल्ली धुंध की मोटी चादर में डूबी हुई है, स्मॉग टॉवर, जिसका उद्घाटन 2021 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बहुत धूमधाम के बीच किया था, ‘लॉक’ कर दिया गया है। इस स्थान को पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन नवाचार केंद्र बनाने के लिए उन्नत करने का भी सुझाव दिया गया है। पिछले सात महीने से बंद इस स्मॉग टावर को रिपोर्ट में प्रदूषण से निपटने में नाकाफ़ी बताया गया है। आनंद विहार ने टावर को पूरी तरह से बंद करने की सिफारिश की है।

100 मीटर के दायरे में प्रदूषण में सिर्फ 12-13 फीसदी की कमी

डीपीसीसी ने पिछले सप्ताह पर्यावरण विभाग को अपनी रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दो साल से चल रहे इस टावर ने 100 मीटर के दायरे में पार्टिकुलेट मैटर को सिर्फ 12 से 13 फीसदी तक कम किया है। कनॉट प्लेस में बने इस टावर की शुरुआत अक्टूबर 2021 में हुई थी। 23 करोड़ रुपये की लागत से बने इस स्मॉग टावर को आईआईटी मुंबई की देखरेख में बनाया गया था और इसे DPCC द्वारा वित्त पोषित किया गया है। टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और एनबीसीसी भी इस परियोजना का हिस्सा हैं। आईआईटी मुंबई इसके प्रभाव का अध्ययन कर रहा है। अब तक की रिपोर्ट से पता चला है कि इस स्मॉग टावर ने 100 मीटर के दायरे में पीएम 2.5 की मात्रा 12 फीसदी और पीएम 10 की मात्रा 13 फीसदी कम कर दी।

स्मॉग टावर का असर काफी कम होता है

डीपीसीसी के मुताबिक, सूक्ष्म वायु गुणवत्ता पर टावर का प्रभाव काफी सीमित है। आईआईटी मुंबई की फाइनल रिपोर्ट में भी कहा गया है कि स्मॉग टावर का असर बहुत कम है। थोड़ी सी हवा या बारिश से भी AQI काफी कम हो जाता है।
रखरखाव पर 2.5 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, कनॉट प्लेस में लगे स्मॉग टावर में 10 लोगों की टीम थी। इसमें इंजीनियर, ऑपरेटर और हेल्पर थे। इन्हें सात माह पहले हटा दिया गया था। अब न तो इसके पंखे चल रहे हैं और न ही प्रदूषण स्तर मापने वाली स्क्रीन चल रही है। इस स्मॉग टावर में 40 पंखे हैं, ये ऊपर से हवा खींचते हैं और नीचे से साफ करके छोड़ देते हैं. अक्टूबर 2022 में एक आरटीआई के जवाब में पर्यावरण विभाग ने बताया था कि इसके रखरखाव और संचालन पर 2.5 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

स्मॉग टावर पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली में दो जगहों पर स्मॉग टावर बनाने का मुद्दा काफी विवाद में रहा है। चीन की इस अवधारणा को दिल्ली में लागू करने को लेकर विशेषज्ञ शुरू से ही सवाल उठाते रहे हैं। इससे बहुत ही छोटे क्षेत्र में ही प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा। विदेशों में भी ये स्मॉग टावर ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए है। अब जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उससे यह साफ हो गया है कि जिस इलाके में प्रदूषण कम करने का दावा किया जा रहा था, उससे भी कम इलाके में उनका असर देखने को मिला।

इसे भी पढ़े:

SHARE
- Advertisement -
Nidhi Jha
Nidhi Jha
Journalist, India News, ITV network.
RELATED ARTICLES

Most Popular