India News(इंडिया न्यूज़),Silent Killer: स्ट्रोक जो पहले बुजुर्गों की बीमारी मानी जाती थी, अब धीरे-धीरे ये युवाओं को भी अपना शिकार बना रही है। सामने आए आंकड़ों के अनुसार, AIIMS के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती होने वाले 20 साल से कम उम्र के हर 100 मरीजों में से दो को स्ट्रोक हो चुका है।
पिछले एक साल में कम उम्र के 6 मरीजों को स्ट्रोक के कारण भर्ती कराया गया, जो चिंताजनक रूप से बढ़ती संख्या को दर्शाता है। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि इन मरीजों में मुख्य कारण हाई ब्लड प्रेशर था, जो आमतौर पर बिना किसी चेतावनी के होता है। एक्सपर्ट्स की माने तो 21 से 45 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों में यह स्थिति और भी गंभीर है, जहां एक साल में स्ट्रोक के कारण 300 में से 77 मरीज भर्ती हुए।
TOI में छपी एक खबर के मुताबिक, AIIMS के न्यूरोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर अवध किशोर पंडित ने बताया कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, एम्स में पहली बार स्ट्रोक के मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर के मामलों का अनुपात बढ़ रहा है। जो 5 साल पहले एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में कुल 260 रोगियों में से 65 प्रतिशत में हाई ब्लड प्रेशर पाया गया था।
मालूम हो, स्ट्रोक को सामान्य शब्दों में समझें तो यह ब्लड वेसेल्स के रुकावट और ब्लड वेसेल्स के टूटने के कारण होने वाला इमरजेंसी ब्रेन, रेटिना और रीढ़ की हड्डी का डिसऑर्डर है। डॉ. अवध किशोर ने जानकारी दी है कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, दिल की धड़कन में गड़बड़ी और गतिहीन लाइफस्टाइल जैसे रिस्क फैक्टर को कंट्रोल करके 85 प्रतिशत स्ट्रोक को रोका जा सकता है।
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